6 साल के भुगतान की जांच हुई
भोपाल संचालनालय कोष विभाग की जांच में कट्ठीवाड़ा के लेखा सहायक रहे कमल राठौड़ के डीडीओ कोड से संदिग्ध भुगतान सामने आए। खातों में एक से अधिक कर्मचारी, वेंडर और लाभार्थियों के नाम दर्ज थे। वित्तीय वर्ष 2013-10 से 2023-24 तक के भुगतानों की जांच की गई।135 खातों में भुगतान हुआ था
पुलिस ने धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात की धाराओं में केस दर्ज किया था राठौड़ को इस मामले में जमानत मिल चुकी है। कलेक्टर ने सहायक आयुक्त आजाक (आदिम जाति कल्याण) विभाग को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे। कुल 135 संवेदनशील खातों में भुगतान किए गए थे। 134 में से 35 खाते ऐसे हैं, जिनके सरनेम राठौड़ है। कमल राठौड़ ने अपनी पत्नी, पिता सहित रिश्तेदारों के नाम पांच साल में लाखों रुपए का भुगतान कराया।तंत्र-मंत्र के चलते राजा रघुवंशी की हत्या का शक गहराया, SIT को मिला संदिग्ध रिकॉर्ड
सुबह 6 बजे मारा छापा
ईडी के विशष जांच दल ने शिक्षा विभाग के बाबू रहे कमल राठौड़ और उनके रिश्तेदारों के ठिकानों पर छापा मारा है। कार्रवाई शाम 6.20 बजे तक चली। राठौड़ पर 20.47 करोड़ रुपए के गबन का आरोप है। टीम कमल राठौड़ के अलावा आबुआ में उनके साले विकास रमेशचंद राठौड़, नितेश चांदमल और कट्टीवाड़ा में दो अन्य स्थानों पर पहुंची थी। नितेश दो माह से इस केस में जेल में बंद है। इससे पहले अगस्त 2013 में कोष व लेखा विभाग ने कमल राठौड़ की मामले की जांच की थी। विभाग ने डीडीओ कोड-4002506054 के खाते से संदिग्ध भुगतान पकड़े। जांच में 20 करोड़ 36 लाख 12 हजार 727 की अनियमितता मिली थी।2019 से लेकर 24 के बीच हुआ गबन
2018-19 से 2023-24 के बीच खंड शिक्षा कार्यालय कट्टीवाड़ा में 20 करोड़ 47 लाख 12 हजार 727 रुपये का गबन हुआ। फर्जी बिल और भुगतान के जरिए 134-135 खातों में रकम ट्रांसफर की गई, जिनमें 35 खाते राठौड़ सरनेम वाले रिश्तेदारों के थे।इस मामले में तत्कालीन 3 खंड शिक्षा अधिकारी, 2 लेखापाल और। प्रधानाध्यापक सहित कुल 6 लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई। गबन की राशि पेंशन, वेतन, एरियर और छात्रवृत्ति के नाम पर फर्जी बिल बनाकर निकाली गई।
साल 2023 में दर्ज हुआ मामला
कोष एवं लेखा विभाग की जांच के बाद अगस्त 2023 में पुलिस ने केस दर्ज किया।एफआइआर में आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 400 (आपराधिक विश्वासघात), 467, 465, 471 (जालसाजी व फर्जी दस्तावेज), आईटी एक्ट की धारा 74 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(क) (ख) लगाई गई।
केस दर्ज होते ही कुछ आरोपी अग्रिम जमानत पर चले गए, जबकि मुख्य आरोपी कमल राठौड़ को राजस्थान से गिरफ्तार किया गया।