सहायक निदेशक अभियोजन एस.एन. चितारा ने बताया कि भ्रष्टाचार के 12 साल पुराने प्रकरण में न्यायालय ने पटवारी प्रहलाद गुर्जर को 15 हजार रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में सजा सुनाई। एसीबी जयपुर टीम ने 26 नवम्बर 2013 में परिवादी की रिपोर्ट पर पटवारी को रिश्वत लेते पकड़ा था। साल 2014 में जिला कलक्टर टोंक ने उसके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति दी थी। अभियोजन पक्ष की ओर से कोर्ट में 17 गवाह, 25 दस्तावेज पेश किए गए।
मांगे 20 हजार, 15 हजार में ट्रैप
चितारा ने बताया कि टोंक जिले के बिडोली निवासी बजरंग बैरवा व उसका भाई पप्पू बैरवा ने एसीबी को 20 नवम्बर 2013 को शिकायत दी। उसमें बताया कि पिता रामपाल बैरवा की मृत्यु के बाद कृषि भूमि का नामांतरण खुलवाने की एवज में पटवारी ने उसने 20 हजार रुपए की रिश्वत मांगी। मामला 15 हजार रुपए में तय हुआ। एसीबी ने 27 नवम्बर को सत्यापन करवाने के बाद ट्रैप की कार्रवाई को अंजाम दिया।