अधिसूचना जारी
स्वायत्त शासन विभाग की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि पूर्व में नवीन जिले के सृजन के दौरान केकड़ी समेत कुछ नगरीय निकायों को नगर परिषद का दर्जा प्रदान किया गया था, लेकिन अब राज्य सरकार की ओर से उन जिलों को प्रत्याहारित कर देने के कारण संबंधित निकायों की परिषद स्थिति भी रद्द मानी गई है। इसके तहत नगर परिषद केकड़ी को पुनः नगर पालिका के रूप में अधिसूचित किया गया है। यह अधिसूचना राज्यपाल की आज्ञा से स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक एवं विशिष्ट शासन सचिव इन्द्रजीत सिंह की ओर से जारी की गई है।
राजनीतिक व प्रशासनिक हलकों में हलचल
नगर परिषद से नगर पालिका किए जाने की अधिसूचना जारी होते ही स्थानीय राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। नगर परिषद से नगर पालिका में अवनयन से न केवल पदनाम बदलेगा, बल्कि फंड आवंटन, योजनाओं की मंजूरी, प्रशासनिक स्तर पर निर्णय लेने की क्षमता और स्टाफिंग में भी महत्वपूर्ण बदलाव होंगे। सभापति अब पुनः पालिकाध्यक्ष कहलाएंगे और परिषद की कार्यप्रणाली पर भी प्रभाव पड़ेगा।
अब तक का इतिहास
म्यूनिसिपैलिटी और स्माल टाउन एक्ट के तहत वर्ष 1929 में केकड़ी नगर पालिका बनी। इसके शुरुआती प्रशासक आईसीएस कमिश्नर अजमेर-मेरवाड़ा ईसी गिब्सन और म्युनिसिपल कमेटी के मनोनीत चेयरमैन राय किशनलाल खन्ना थे। वर्ष 1946 में चेयरमैन के लिए निर्वाचन प्रक्रिया शुरू हुई। कानमल कर्णावट नगर पालिका के पहले निर्वाचित चेयरमैन बने। नगर पालिका में पहले 25 वार्ड थे। इसके बाद 30 हो गए। वर्ष 2020 में नगर पालिका में वार्डों की संख्या 30 से बढ़कर 40 कर दी गई। इसके बाद केकड़ी जिला बना और 16 अगस्त 2023 को केकड़ी नगर पालिका को नगर परिषद बनाया गया। अब फिर से इसे नगर पालिका (द्वितीय श्रेणी) कर दिया गया है।
वित्तीय सैक्शन पावर होगी कम
परिषद होने पर आयुक्त को 2 लाख तथा सभापति को 50 लाख की वित्तीय स्वीकृति की पावर थी। वह अब नगर पालिका बनने से ईओ को 1 लाख और पालिकाध्यक्ष को 25 लाख की ही रह जाएगी। पार्षदों के भत्ते भी कम हो जाएंगे। इनका कहना है… सरकार ने पहले पालिकाध्यक्ष से सभापति बनाया और अब वापस पालिकाध्यक्ष बना दिया। हमें तो सिर्फ जनता की सेवा करनी है वह करते रहेंगे। नगर परिषद से वापस पालिका बनने से काफी कुछ बदल जाएगा।
कमलेश साहू, पालिकाध्यक्ष, केकड़ी