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#RPSC-स्टेनोग्राफर ने फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र से हासिल की नौकरी

पत्रिका फोलोअप-आरपीएससी ने सिविल लाइंस थाने में दर्ज करवाया मुकदमा, फर्जी प्रमाण पत्र का मामला

अजमेरAug 15, 2025 / 10:23 am

manish Singh

स्टेनोग्राफर ने फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र से हासिल की नौकरी

RPSC Ajmer

अजमेर(Ajmer News). राजस्थान लोकसेवा आयोग ने फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र से स्टेनोग्राफर की नौकरी हासिल करने वाले अरूण शर्मा के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस ने प्रकरण दर्जकर अनुसंधान शुरू कर दिया है।
थानाप्रभारी शम्भूसिंह ने बताया कि आरपीएससी के अनुभाग अधिकारी हाल बंदिया गांव निवासी मुकुटबिहारी शर्मा ने शिकायत दी कि आयोग में पदस्थापित स्टेनोग्राफर अरूण शर्मा ने राजकीय सेवा में भर्ती के समय धोखाधड़ी पूर्वक फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पेशकर नियुक्ति प्राप्त कर ली। उन्होंने रिपोर्ट में बताया कि अरूण ने स्टेनोग्राफर संयुक्त सीधी भर्ती परीक्षा 2018 में नेत्र अंग का फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र पेशकर बेईमानीपूर्वक आरक्षित श्रेणी में नियुक्ति प्राप्त की। अरूण के खिलाफ कूटरचित दस्तावेज बनाकर धोखाधड़ी कारित करने का मुकदमा दर्ज किया। प्रकरण में अनुसंधान उप निरीक्षक गिरीराज कर रहे है।

यूं हासिल की नौकरी

शर्मा ने रिपोर्ट में बताया कि राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने स्टेनोग्राफर संयुक्त सीधी भर्ती परीक्षा 2018 में 1155 पदों पर भर्ती निकाली। इसमें आरपीएससी के पांच पद पर भी शामिल थे। आयोग के 5 रिक्त पद अंधे व कम दृष्टि के नि:शक्त के लिए आरक्षित थे। अरूण शर्मा ने 24 सितम्बर 2020 को नि:शक्तजन में आवेदन किया। परीक्षा में चयनित होने पर एक अप्रेल 022 को आवेदन भरकर जांच के लिए कर्मचारी चयन बोर्ड में पेश किया। इसमें दृष्टिहीन/अल्पदृष्टि कॉलम में हां भरा। आवेदन के साथ में दिव्यांगजनों को जारी विशिष्ट पहचान प्रमाण पत्र 29 मार्च 2020 को लगाया। जिसमें अल्पदृष्टि में स्थाई दिव्यांगता प्रतिशत 70 दर्शाया गया था। बोर्ड ने 4 अप्रेल 022 को दस्तावेज सत्यापन किया। अरूण शर्मा ने 28 अप्रेल 022 को जेएलएन अस्पताल अजमेर की ओर से 19 जुलाई 019 को जारी हुआ स्थाई विकलांगता प्रमाण पत्र जमा कराया। भर्ती परीक्षा का अंतिम परिणाम 11 मई 2022 को जारी हुआ। इसमें बोर्ड ने अरूण को फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र पर भरोसा करते दृष्टिहीन/अल्पदृष्टि वर्ग में विचारित कर चयनित किया। जिस पर आयोग ने अरूण शर्मा को 21 जून 022 को नियुक्ती पत्र जारी कर दिया। अरूण शर्मा ने 26 जून 2022 को स्टेनोग्राफर के पद पर कार्यग्रहण किया।

यों हुआ खुलासा

आयोग ने 6 जून 2024 को विगत 5 साल में सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों के शैक्षणिक पात्रता, आवेदन के समय पेश दस्तावेज व फोटो जांच के आदेश दिए। अरूण के दिव्यांगता प्रमाण पत्र के सम्बंध में जेएलएन अस्पताल के नेत्र चिकित्सा विभाग ने एक अप्रेल को जांच रिपोर्ट आयोग को भिजवाई। इसमें एसएमएस मेडिकल अस्पताल जयपुर से दृश्य जागृत क्षमता(वीईपी) जांच करवाने के लिए भेजा।एसएमएस जयपुर ने मेडिकल बोर्ड का गठन किया। जांच में शर्मा की नेत्र दिव्यांगता 30 से कम पाई। जिससे वह दिव्यांगता श्रेणी में नहीं पाया गया। इस पर आयोग ने जेएलएन अस्पताल और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी नागौर से अरूण को पूर्व में जारी विकलांगता प्रमाण पत्र के संबंध में जानकारी चाही।

फर्जी सील व हस्ताक्षर

जेएलएन अस्पताल अधीक्षक ने दिव्यांग प्रमाण पत्र की जांच के लिए कमेटी गठित की। कमेटी ने 18 जुलाई को अवगत कराया कि अरूण शर्मा को नेत्ररोग विभाग की ओर से कोई प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया। प्रमाण पत्र में हस्ताक्षर, नाम, सील नेत्र रोग विभाग के किसी भी चिकित्सक के नाम से नहीं है। दिव्यांगता प्रमाण पत्र पर नेत्र रोग विभाग के चिकित्सक की फर्जी सील व हस्ताक्षर थे।

रिपोर्ट से रहा अनभिज्ञ

अरूण शर्मा के आवेदन पत्र के साथ जेएलएन अस्पताल का दिव्यांगता प्रमाण पत्र, नागौर के सीएमएचओ का निःशक्तता प्रमाण-पत्र व विशिष्ट पहचान प्रमाण पत्र में दिव्यांगता श्रेणी-अल्प दृष्टि बाधित व दिव्यांगता 70 फीसदी से अधिक दर्शाया गया था। एसएमएस जयपुर मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर आयोग सचिव ने 5 जून अरूण शर्मा को तलब किया। उसने 4 साल में आंखों के लिए पंचकर्म, मेडिटेशन, आंखों का व्यायाम की जानकारी दी। उसने एसएमएस जयपुर की रिपोर्ट, 4 साल पहले जेेएलएन अस्पताल अजमेर और नागौर की रिपोर्ट के विरोधाभास से भी अनभिज्ञता जाहिर की।

फर्जी प्रमाण पत्र पर किसने क्या दिए तर्क

1…दिव्यांग की श्रेणी में नहीं है

एसएमएस जयपुर ने आयोग को 28 सितम्बर 24 को भेजे पत्र में जेेएलएनअस्पपताल के नेत्र चिकित्सा विभाग की रिपोर्ट को विश्वसनीय नहीं बताया। अरूण शर्मा की निःशक्तता की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन किया। बोर्ड ने 9 मई 25 को बुलाया । अरूण शर्मा अनुसंभाग अधिकारी रक्षपालसिंह शेखावत के साथ पहुंचा। एसएमएस अस्पताल के दिव्यांगजन बोर्ड ने 23 मई को शर्मा की नेत्र दिव्यांगता 30 से कम पाई। जिससे वह दिव्यांगता श्रेणी में नहीं पाया गया।
2…प्रमाण पत्र के आधार पर जारी

एसएमएस अस्पताल जयपुर की मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट आयोग ने जेएलएन अस्पताल और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी नागौर को 4 जून 25 पत्र भेजकर अरूण शर्मा को पूर्व में जारी विकलांगता प्रमाण पत्र के संबंध में जानकारी चाही। सीएमएचओ नागौर ने 12 फरवरी 20 को जेएलएन अस्पताल अजमेर मेडिकल बोर्ड के प्रमाण-पत्र 19 जुलाई 2019 के प्रमाण पत्र के आधार पर जारी करना बताया।
3…नहीं जारी हुआ प्रमाण पत्र

जेएलएन अस्पताल अधीक्षक ने 5 जुलाई को आदेश जारी कर 19 जुलाई 2019 को अरूण शर्मा को जारी दिव्यांग प्रमाण पत्र की जांच के लिए कमेटी गठित की। जांच कमेटी ने 18 जुलाई को अवगत कराया कि अरूण शर्मा को नेत्ररोग विभाग की ओर से कोई प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया। प्रमाण पत्र में हस्ताक्षर, नाम, सील नेत्र रोग विभाग के किसी भी चिकित्सक के नाम से नहीं है। नेत्ररोग विभाग में 19 जुलाई 19 को 2 दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी हुए। अरूण शर्मा को के नाम से कोई दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी नहीं किया।
4…दिव्यांग प्रमाण पत्र फर्जी

जेएलएन अस्पताल प्रशासन की पड़ताल में आया कि अरूण शर्मा के दिव्यांगता प्रमाण पत्र पर नेत्र रोग विभाग के चिकित्सक की फर्जी सील, हस्ताक्षर थे। खास बात यह रही कि प्रमाण पत्र का नाक, कान, गला रोग विभाग के प्रारूप पर बनाया गया है जबकि ईएनटी विभाग ने किसी भी तरह का कोई दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी नहीं किया है। अरूण शर्मा का 19 जुलाई 2019 को जारी दिव्यांग प्रमाण पत्र फर्जी/बोगस है।

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