गलवान के बाद सुधरते रिश्ते
जयशंकर ने कहा कि 2020 में गलवान घाटी में हुए टकराव ने दोनों देशों के संबंधों को छह दशकों के निचले स्तर पर पहुंचा दिया था। अक्टूबर 2024 में LAC पर सैन्य गतिरोध खत्म करने के समझौते के बाद हालात में सुधार हुआ है। जयशंकर ने वांग के साथ जुलाई में बीजिंग में हुई अपनी बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि वह आर्थिक और व्यापारिक मुद्दों, नदी डेटा साझा करने, और कैलाश मानसरोवर यात्रा जैसे विषयों पर चर्चा को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत-चीन संबंधों में किसी तीसरे पक्ष (पाकिस्तान) की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए।
LAC पर शांति और डी-एस्केलेशन का लक्ष्य
जयशंकर ने कहा कि सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता भारत-चीन संबंधों के लिए आधारभूत है। उन्होंने डोवल-वांग की विशेष प्रतिनिधि वार्ता का उल्लेख करते हुए कहा कि यह LAC पर डी-एस्केलेशन और पारंपरिक गश्त को बहाल करने में महत्वपूर्ण होगी। जयशंकर ने 1988, 1993, 1996 और 2005 के समझौतों का हवाला देते हुए कहा कि इनका पालन दोनों देशों के लिए जरूरी है ताकि विवाद संघर्ष में न बदलें। डेपसांग और डेमचोक जैसे क्षेत्रों में डिसइंगेजमेंट पूरा होने के बाद अब डी-एस्केलेशन पर ध्यान है।
आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग पर जोर
मुलाकात में व्यापार, कनेक्टिविटी, और लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने पर चर्चा हुई। जयशंकर ने चीन द्वारा दुर्लभ खनिजों और उर्वरकों पर निर्यात प्रतिबंधों का मुद्दा उठाया, जो इलेक्ट्रिक वाहन और अन्य उद्योगों को प्रभावित कर रहे हैं। भारत ने 2020 के बाद पहली बार चीनी नागरिकों के लिए पर्यटक वीजा बहाल किया है और दोनों देश सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने की दिशा में बातचीत कर रहे हैं। कैलाश मानसरोवर यात्रा पांच साल बाद फिर से शुरू हुई है, जो दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव को दर्शाती है।