1 अगस्त को चुनाव आयोग ने तमाम वेरिफिकेशन के बाद बिहार के लिए ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी कर दी। अब जिन लोगों का नाम मतदाता सूची में छूट गया है, वह 1 सितंबर तक दावा कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को लेकर देश भर में बवाल मचा है। विपक्ष लगातार आयोग पर भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगा रहा है।
विपक्ष का कहना है कि बिहार में मतदाता सूची के साथ छेड़छाड़ की गई है। मृत लोगों के नाम जोड़ दिए गए हैं और कई जिंदा लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए हैं। इस बीच, चुनाव आयोग भी लगातार सफाई दे रहा है।
बता दें कि इससे पहले, साल 2003 में बिहार में एसआईआर किया गया था। कई लोग 2003 से 2025 के SIR की तुलना कर रहे हैं। इस बीच, पूर्व चुनाव अधिकारी ने खुलकर यह कह दिया है कि 2003 से 2025 के SIR की तुलना करना पूरी तरह गलत है। इसके तीन कारण भी उन्होंने बताए हैं। तो आइये उनपर एक नजर डालें।
ये हैं तीन बड़े कारण
- 2002-03 में, सात राज्यों बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पंजाब के पास एसआईआर प्रक्रिया को पूरा करने के लिए आठ महीने का समय था। वहीं, इस बार सिर्फ तीन महीने का समय। इससे आप समझ सकते हैं कि दोनों SIR में समय का कितना फासला है।
- तब 2002 की मतदाता सूची में शामिल मौजूदा मतदाताओं से नागरिकता का कोई प्रमाण नहीं मांगा गया था। इस समय, लोगों से तमाम तरह के प्रूफ मांगे जा रहे हैं। इसके बाद ही मतदाता सूची में उनका नाम फाइनल किया जा रहा है।
- उस समय, मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) मौजूदा मतदाताओं के सत्यापन का मुख्य आधार था। 2003 की सूची में 4.96 करोड़ मतदाताओं का नाम शामिल किया गया था। तब SIR प्रक्रिया के लिए मतदाताओं से ज्यादा डॉक्यूमेंट्स नहीं मांगे जाते थे। वहीं, चुनाव आयोग के लिए प्रक्रिया तब चुनौतीपूर्ण भी नहीं थी।
2003 और 2025 में किस काम के लिए कितना समय मिला
- साल 2003 के एसआईआर में मौजूदा सूची के आधार पर प्रारंभिक सूची, बूथ कर्मियों को ट्रेनिंग, सर्वेक्षण और मतदान केंद्रों को सही करने जैसे काम 74 दिन में पूरे हुए थे। प्रक्रिया 01 मई 2002 से 13 जुलाई 2002 तक चली थी।
- इसके बाद, घर-घर मतदाताओं की जांच प्रक्रिया 15 जुलाई से 16 अगस्त, 2002 तक यानी कि 31 दिन तक चली थी। वहीं, 2025 में इन सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए चुनाव आयोग ने सिर्फ 31 दिन का समय लिया है।
- ट्रेनिंग से लेकर घर-घर मतदाताओं की जांच प्रक्रिया 26 जून से लेकर 27 जुलाई, 2025 तक चली। जल्दबाजी को लेकर विपक्ष सवाल भी उठा रहा है।
- 2003 में फाइनल मतदाता सूची जारी करने तक एसआईआर की प्रक्रिया 01 मई 2002 से 6 जनवरी 2003 तक चली थी। इसके बाद, 4.96 करोड़ मतदाताओं के नाम फाइनल हुए थे। जिसमें कुल 243 दिन लगे थे।
- वहीं, 2025 की बात करें तो एसआईआर की प्रक्रिया 26 जून से शुरू है। 30 सितंबर, 2025 को फाइनल मतदाता सूची जारी कर दी जाएगी। इसका मतलब है कि इस बार के एसआईआर में महज 97 दिन का समय लग रहा है।