Ajmer: रेप के 37 साल पुराने केस में 53 साल के दोषी को माना ‘नाबालिग’, 5 साल की सजा रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने रेप के 37 साल पुराने मामले में चौंकाने वाला फैसला सुनाया है। कोर्ट ने दोषसिद्धि तो बरकरार रखी, लेकिन 53 साल के हो चुके दोषी को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) के सामने पेश होने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने रेप के दोषी को माना नाबालिग, फाइल फोटो पत्रिका
सुप्रीम कोर्ट ने रेप के 37 साल पुराने मामले में चौंकाने वाला फैसला सुनाया है। कोर्ट ने दोषसिद्धि तो बरकरार रखी, लेकिन 53 साल के हो चुके दोषी को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) के सामने पेश होने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि अपराध के वक्त दोषी नाबालिग था। जेजेबी उसे अधिकतम तीन साल के लिए विशेष सुधार गृह भेज सकता है।
राजस्थान के अजमेर जिले में 11 साल की बच्ची से रेप के मामले में पीठ ने दोषी की पांच साल की सजा रद्द कर दी। फैसले में कहा, चूंकि दोषी अपराध के समय नाबालिग था, उस पर किशोर न्याय अधिनियम, 2000 के प्रावधान लागू होंगे। इसलिए अधिनियम के तहत उचित आदेश पारित करने के लिए मामला जेजेबी को भेजा जाता है।
राज्य की दलील खारिज
अपराध के समय (17 नवंबर, 1988) दोषी की उम्र 16 साल दो माह व तीन दिन थी। पीठ ने कहा कि नाबालिग होने का दावा किसी भी स्तर पर उठाया जा सकता है। पीठ ने राज्य सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया कि दोषी को कोर्ट में नाबालिग होने का दावा करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
तीन कोर्ट का सफर
किशनगढ़ के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने आरोपी को रेप का दोषी करार देते हुए पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। निचली अदालत के आदेश को हाईकोर्ट ने जुलाई 2024 में बरकरार रखा था। पहले दोषी ने नाबालिग होने का मुद्दा नहीं उठाया था। सुप्रीम कोर्ट में दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ अपील में उसने इसका जिक्र किया।
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