वे रविवार को अहमदाबाद साइंस सिटी में गुजरात राज्य सहकारी संघ की ओर से विकसित भारत के निर्माण में सहकारिता की भूमिका विषय पर आयोजित महासम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल , सहकारिता राज्यमंत्री जगदीश विश्वकर्मा भी उपस्थित रहे।
सहकारिता मंत्री ने कहा कि लिक्विडेशन में गई पैक्स के निपटारे और नए पैक्स के लिए भी केन्द्र सरकार जल्द नीति ले कर आने वाली है। सरकार ने विभिन्न प्रकार की 22 गतिविधियों को पैक्स के साथ जोड़ने का काम किया है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सहकारिता क्षेत्र में अनेक प्रकार की नई शुरुआत होने जा रही है। वर्ष 2025 अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष में लोगों को जागरूक कर, पारदर्शिता के नए आयाम तय करते हुए और भर्तियां करके हमें सहकारी ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता है।
सहकारी संस्थाओं में पारदर्शिता, प्रशिक्षण के हों प्रयास
शाह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में हुए परिवर्तन के लाभ जब तक निचले स्तर पर पैक्स और किसानों तक नहीं पहुंचेंगे तब तक सहकारिता क्षेत्र मजबूत नहीं हो सकता। हमें सभी प्रकार की सहकारी संस्थाओं में जागरूकता, प्रशिक्षण और पारदर्शिता लाने का प्रयास करना होगा।
सहकारी संस्थाओं के साथ काम करें सहकारी संस्थाएं
सहकारिता मंत्री ने कहा कि हमें गुजरात सहित पूरे देश में को-ऑपरेशन अमंगस्ट को-ऑपरेटिव (सहकारी समितियों के बीच सहयोग) के प्रयोग को प्राथमिक स्तर पर लागू करना चाहिए, जिससे सभी सहकारी संस्थाओं का पूरा कामकाज सहकारी संस्थाओं के साथ ही हो। सभी प्राथमिक सहकारी समितियों, डेयरी का बैंक अकाउंट जिला सहकारी बैंक में ही होना चाहिए। मोदी सरकार ने त्रिभुवन कोऑपरेटिव यूनिवर्सिटी की स्थापना की है,जो राष्ट्रीय स्तर पर काम करेगी। हर राज्य में सहकारिता से जुड़े सभी क्षेत्रों में कोऑपरेटिव के कॉन्सेप्ट के साथ पढ़ने की व्यवस्था बनाई है।