उन्होंने कहा कि इस मशीन की दूसरी फिटिंग और मैपिंग की योजना पर काम चल रहा है, जिसकी लागत 15 लाख रुपए है। कुल 220 बच्चों को 2.5 लाख रुपए कीमती मशीन नि:शुल्क दी जाएगी। 100 बच्चों के बाद 120 बच्चों को भी जल्द मशीन दी जाएगी। इसमें लगभग साढ़े पांच करोड़ रुपए का खर्च आएगा। उन्होंने कहा कि यदि किसी निजी अस्पताल में पहली बार मशीन लगाई जाती है तो उनसे कुल लागत का 10 प्रतिशत शुल्क लेकर यह मशीन दूसरी बार भी लगाई जाएगी।
…ताकि बधिरता न बने बाधा
मंत्री ने कहा कि एक बच्चे का सपना वैज्ञानिक, इंजीनियर बनना और अच्छा करियर बनाकर अपने परिवार और देश की सेवा करना होता है। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि उनकी बधिरता ऐसे सपनों में बाधा न बने इस लिए यह व्यवस्था की गई है। सोला सिविल अस्पताल में ऑडियोलॉजी विभाग में चिकित्सा अध्ययन के लिए बुनियादी ढांचा भी तैयार किया गया है।
चार हजार से अधिक कॉक्लियर इम्प्लांट
सोला सिविल अस्पताल की ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. नीना भालोडिया के अनुसार अब तक अस्पताल में 9000 मरीजों को बहरेपन का इलाज किया। इनमें से 4,000 से अधिक कॉक्लियर इम्प्लांट्स किये जा चुके हैं। यहां ध्वनि रोधी कमरे और स्पीच थेरेपी के लिए अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध हैं। मंत्री ने इस कक्ष का दौरा भी किया। इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के सचिव धनंजय त्रिवेदी, अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दीपिका सिंघल समेत अनेक लोग मौजूद रहे।