चातुर्मास का हिंदू धर्म और जैन धर्म में महत्व
मान्यता है कि भगवान विष्णु इस समय विश्राम करते हैं और उनकी जगह भोलेनाथ सृष्टि का संचालन करते हैं। इस दौरान सभी तरह के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, बस विवाह समेत अन्य मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। इस दौरान भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करना चाहिए। इस दौरान धार्मिक अनुष्ठान किए जा सकते हैं पर विवाह समेत मांगलिक काम नहीं होते हैं। इस समय जैन संत एक ही जगह रूककर प्रवास करते हैं। साथ ही स्वाध्याय प्रवचन आदि करते हैं।इसलिए सभी धर्मों के साधु संत करते हैं चातुर्मास में विश्राम
चातुर्मास क्यों मनाया जाता है ये सवाल मन में होगा तो ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा से इसका जवाब जान सकते हैं। इनके अनुसार धार्मिक दृष्टि से चातुर्मास का ये चार महीना भगवान विष्णु का निद्राकाल माना जाते है। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार इस दौरान सूर्य और चंद्र का तेज पृथ्वी पर कम पहुंचता है, जल की मात्रा अधिक हो जाती है।चातुर्मास में क्या होता है (Chaturmas Kya Hota Hai)
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार चातुर्मास के दौरान पूजा-पाठ, कथा, अनुष्ठान से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। चातुर्मास में भजन, कीर्तन, सत्संग, कथा, भागवत के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है। भगवान विष्णु के विश्राम करने से सभी तरह के मांगलिक कार्य रूक जाते हैं।भगवान विष्णु, शिव पूजा और दान का विशेष फल
ज्योतिषाचार्य के अनुसार चातुर्मास में पूजा और ध्यान करने का विशेष महत्व है। देवशयनी एकादशी से देवप्रबोधनी एकादशी तक भगवान विष्णु विश्राम करेंगे। इस दौरान शिवजी सृष्टि का संचालन करेंगे। इन दिनों में शिवजी और विष्णुजी की पूजा करनी चाहिए। चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु और शिवजी का अभिषेक करना चाहिए।चातुर्मास में इन पर्वों की रहती है धूम
चातुर्मास में सबसे पहले सावन का महीना आता है। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस माह में भगवान शिव की अराधना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसके बाद गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक भगवान गणेश की विशेष पूजा- अर्चना की जाती है। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
चातुर्मास का जैन धर्म में महत्व (Chaturmas 2025 Importance In Jainism)
चातुर्मास यानी चौमासा का हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म में बड़ा महत्व है। संत और आस्थावान लोग इसके नियमों का कड़ाई से पालन करते हैं। इस समय कई बड़े त्योहार और सावन के अनुष्ठान पड़ते हैं। आइये जानते हैं जैन धर्म में चातुर्मास का महत्व क्या है4. चातुर्मास में जैन समुदाय के लोग पंखा, कूलर, टीवी, मनोरंजन के साधनों और अन्य सुख-सुविधाओं से दूरी बनाने लगते हैं। इन 4 महीनों में सफाई और जीव हत्या से बचते हुए सिर्फ घर पर बना भोजन ही करते हैं।