क्या है संकट की जड़?
पिछले एक दशक में काबुल के भूजल स्तर में 25 से 30 मीटर की भारी गिरावट दर्ज की गई है। तेजी से बढ़ती आबादी, अनियंत्रित भूजल दोहन, जलवायु परिवर्तन और शासन की कमजोरियों ने इस संकट को और गंभीर बना दिया है। 2001 में काबुल की आबादी करीब 10 लाख थी, जो अब बढ़कर 60-70 लाख हो चुकी है। इस जनसंख्या वृद्धि ने पानी की मांग को कई गुना बढ़ा दिया है।
जलवायु परिवर्तन का असर
रिपोर्ट्स के अनुसार, अक्टूबर 2023 से जनवरी 2024 के बीच अफगानिस्तान में सामान्य से 45-60% कम बारिश हुई, जिसने हिंदूकुश पर्वतों से आने वाले बर्फ के पिघलने पर निर्भर जल स्रोतों को प्रभावित किया। बढ़ते तापमान और सूखे ने स्थिति को और बदतर कर दिया है।
गरीबों पर सबसे ज्यादा मार
काबुल में करीब 80% भूजल सीवेज, विषाक्त पदार्थों और रसायनों से दूषित हो चुका है, जिससे पीने योग्य पानी की कमी और भी गंभीर हो गई है। गरीब परिवार अपनी आय का 15-30% हिस्सा पानी खरीदने में खर्च कर रहे हैं, और कई परिवार पानी से संबंधित कर्ज में डूब चुके हैं। धनी लोग गहरे बोरवेल खोदकर पानी प्राप्त कर रहे हैं, जबकि गरीब बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं।
क्या है समाधान?
विशेषज्ञों का कहना है कि काबुल का जल संकट अभी भी हल किया जा सकता है, बशर्ते तत्काल और ठोस कदम उठाए जाएं। प्रस्तावित समाधानों में शाहतूत बांध और जलाशय का निर्माण शामिल है, जो काबुल से 30 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में बनाया जा सकता है। हालांकि, तालिबान शासन के बाद अंतरराष्ट्रीय सहायता में भारी कटौती और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के रुकने से स्थिति जटिल हो गई है।
सूखे की चेतावनी
मर्सी कॉर्प्स के अफगानिस्तान निदेशक डायने करी ने चेतावनी दी है कि अगर इस संकट पर ध्यान नहीं दिया गया तो काबुल दुनिया का पहला आधुनिक शहर बन सकता है, जो पूरी तरह से पानी के बिना सूख जाएगा। संयुक्त राष्ट्र और अन्य सहायता संगठनों ने भी इस मानवीय संकट को रोकने के लिए तत्काल अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मांग की है।
बड़ी मानवीय चेतावनी
काबुल का जल संकट न केवल अफगानिस्तान बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक गंभीर चेतावनी है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो लाखों लोगों का विस्थापन और एक बड़े मानवीय संकट का खतरा बढ़ सकता है। यह समय है कि वैश्विक समुदाय और स्थानीय प्रशासन इस आपदा को रोकने के लिए एकजुट होकर काम करें।