पाक के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर में इज़राइल ने भारत की मदद की। (फोटो: ANI)
India-Israel Military Ties: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने भारत की ओर से ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में तुर्की और अजरबैजान की ओर से उनके देश की मदद करने पर लगाए गए आरोपों और देश में लगाए गए प्रतिबंधों पर पलटवार (India Pakistan conflict) किया है। शहबाज़ ने बुधवार को इस्लामाबाद में संवाददाताओं से बातचीत में कहा है (Shehbaz Sharif India allegations) कि हालिया ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इज़राइल ने भारत की खुल कर सैन्य मदद (India Israel Relations) की। उन्होंने दावा किया कि युद्ध से पहले इज़राइल के 150 प्रशिक्षित लोग भारत पहुंचे (Military Cooperation) और श्रीनगर समेत कई अन्य स्थानों पर भारत ने इज़राइली हथियारों (Israeli weapons in Kashmir)का इस्तेमाल किया। ध्यान रहे कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हिन्दुस्तान के खिलाफ पाकिस्तान की सैन्य मदद करने पर तुर्की पर आर्थिक प्रतिबंध लागू कर दिए हैं।
उन्होंने सीनियर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि आर्मी चीफ को फील्ड मार्शल बनाने का फैसला उनका था, और इस तरह के अहम निर्णयों से पहले वह पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ से परामर्श लेते हैं। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि “युद्ध किसी समस्या का स्थायी समाधान नहीं, बल्कि केवल दीर्घकालिक शांति ही सुरक्षित भविष्य की गारंटी है।”
दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर पर ही वार्ताएं होंगी
शहबाज़ ने यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच जब भी आतंकवाद से संबंधित वार्ताएं होंगी, वे दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर पर ही होंगी। बातचीत के दौरान पाकिस्तान चार मुख्य मुद्दों – कश्मीर, पानी, व्यापार और आतंकवाद को एजेंडे में शामिल करेगा।
‘तीसरे देश में वार्ता करना एक सकारात्मक विकल्प हो सकता है’
उन्होंने यह भी कहा कि भारत किसी तीसरे देश की वार्ता में भागीदारी को स्वीकार नहीं कर रहा है, लेकिन तीसरे देश में वार्ता आयोजित करना एक सकारात्मक विकल्प हो सकता है।
क्या भारत इस बयान पर आधिकारिक प्रतिक्रिया देगा ?
गौरतलब है कि शहबाज़ का यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत-इज़राइल के रणनीतिक संबंध लगातार गहरे होते जा रहे हैं, और कश्मीर में सैन्य उपस्थिति को लेकर पाकिस्तान की चिंताएं फिर से उभर रही हैं। अब सवाल यह है कि क्या भारत इस बयान पर आधिकारिक प्रतिक्रिया देगा? और क्या पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह मामला उठाएगा?