कैप्टन शेर खान को दी श्रद्धांजलि
पाकिस्तानी सेना की मीडिया विंग ISPR (इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशन) ने कारगिल युद्ध में भारत के खिलाफ लड़ते हुए मारे गए कैप्टन शेर खान को श्रद्धांजलि दी है। ISPR ने एक्स अकाउंट पर शेर खान की तस्वीरें साझा की है। इसमें पाकिस्तानी सेना प्रमुख मुनीर और दूसरे सर्विस चीफ की तरफ से कैप्टन की वीरता और शहादत को नमन किया गया है। इस दौरान पाकिस्तानी सेना ने शेर खान की बहादुरी की कसीदें भी पढ़े, लेकिन यह वही पाकिस्तानी सेना है जिसने शेर खान और पाकिस्तानी सेना के मारे गए दूसरे सैनिकों के शव तक लेने से पहले इंकार कर दिया था। लिहाजा कई पाकिस्तानी सैनिकों को भारत ने कारगिल में ही सभी इस्लामिक रीति-रिवाज के जरिए दफना दिया था।
टाइगर हिल पर मिली थी शेर खान की लाश
कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों को उनकी लाश टाइगर हिल पर मिली थी। तब पाकिस्तान ने उनको पहचानने से इनकार कर दिया था। पाकिस्तानी सेना ने कहा था कि वह रेगुलर आर्मी के सैनिक नहीं थे। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कारगिल युद्ध के दौरान मारे गए पाकिस्तानी सैनिक कैप्टन करनल शेर खान के शव को लेकर भारत ने 12 जुलाई 1999 को पाकिस्तान से संपर्क किया था। भारत ने कहा था कि वह पाकिस्तान को उनका शव सौंपना चाहता है, लेकिन पाकिस्तान ने इससे इनकार कर दिया।
भारत ने 1999 में किया था खुलासा
15 जुलाई 1999 को अमेरिका के वॉशिंगटन में स्थित भारतीय दूतावास ने प्रेस रिलीज में बताया गया था कि पाकिस्तान ने कारगिल युद्ध में अपनी सेना की भागीदारी को पूरी तरह नकार दिया था, जब भारत ने शेर खान के शव से मिले दस्तावेजों के आधार पर उनकी पहचान की और पाकिस्तान से संपर्क किया तो पाक अधिकारियों ने पहले इसे मानने से इनकार कर दिया। भारत ने कहा था कि पाकिस्तान शव न लेकर सैन्य परंपराओं का भी अपमान कर रहा है।
भारतीय दूतावास ने क्या कहा?
भारतीय दूतावास ने बताया कि पाकिस्तान ने ICRC को भेजे अनुरोध में मारे गए दो अधिकारियों के नाम और पहचान की जानकारी नहीं दी, जबकि वे जानते थे कि ये कौन हैं। दूतावास के अनुसार कहा कि पाकिस्तान ने जानबूझकर शवों की पहचान नहीं मानी क्योंकि अगर वे इन अधिकारियों की पहचान स्वीकार कर लेते तो यह साबित हो जाता कि करगिल में पाकिस्तान सेना शामिल थी।