चीन-पाकिस्तान की बढ़ती दोस्ती: भारत के लिए खतरा
हाल ही में, पाकिस्तान के विदेश मंत्री इस्हाक डार के चीन का दौरे के दौरान दोनों देशों ने आपसी रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने और अफगानिस्तान में CPEC (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) का विस्तार करने पर चर्चा की। यह भारत के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि इस परियोजना में भारतीय सीमा के पास का इलाका भी शामिल है। पाकिस्तान और चीन का यह सहयोग, भारत के लिए नई सुरक्षा चुनौतियां उत्पन्न कर रहा है।
चीन का दोहरा रवैया: एससीओ से भारत का वॉकआउट
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन से एक महत्वपूर्ण बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया, क्योंकि इसमें पाकिस्तान की ओर से किए गए पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख नहीं था। इस पर चीन और पाकिस्तान ने बयान की भाषा को कमजोर करने की कोशिश की, लेकिन भारत ने इसे खारिज कर दिया। सिंह ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा, “रिश्तों में नई जटिलताएं न जोड़ें।” इससे स्पष्ट है कि भारत चीन के साथ अपनी सीमाओं को लेकर सतर्क है और किसी भी तरह की समझौता-भरोसा नीति से बचना चाहता है।
ब्रिक्स और संयुक्त राष्ट्र में चीन की दोहरी भूमिका
चीन का दोहरा रवैया कई कूटनीतिक मंचों पर भी नजर आता है। उदाहरण के लिए, चीन ने पाकिस्तान के साथ मिल कर संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने की भारत की कोशिशों को नाकाम किया था। इसके अलावा, चीन और पाकिस्तान के बीच रक्षा संबंधों की बढ़ती मजबूती भारत के लिए एक और खतरा पैदा करती है, खासकर जब चीन पाकिस्तान को और अधिक युद्धक विमान और वायु रक्षा प्रणालियाँ दे रहा है।
क्या भारत को चीन पर विश्वास करना चाहिए ?
अब सवाल यह है कि क्या भारत को चीन पर भरोसा करना चाहिए ? चीन बलूचिस्तान को संघर्ष क्षेत्र बनाने की कोशिश कर रहा है, जबकि अपनी ही धरती पर उइगर मुसलमानों के खिलाफ दमनकारी नीतियां लागू कर रहा है। ऐसे में भारत को चीन पर विश्वास करने में बहुत सतर्क रहना होगा, खासकर जब चीन पाकिस्तान के साथ मिल कर भारत की सुरक्षा को खतरे में डालने की कोशिश कर रहा है।
भारत-चीन के रिश्तों में बदलाव : सकारात्मक या नकारात्मक ?
हालांकि, भारत और चीन के बीच हाल ही में कुछ सकारात्मक घटनाएं भी हुई हैं। जैसे कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हो गई है और दोनों देशों ने व्यापार और कूटनीतिक संबंध सुधारने के लिए कुछ समझौते किए हैं। चीन के उप विदेश मंत्री सन वेइदोंग ने नई दिल्ली में भारत-चीन उड़ानों की बहाली और व्यापार में सहयोग बढ़ाने के लिए समझौते किए। हालांकि, इन सकारात्मक घटनाओं के बावजूद, पाकिस्तान और आतंकवाद के मुद्दे पर विश्वास की कमी बनी हुई है, जो दोनों देशों के रिश्ते जटिल बनाता है।
भारत-चीन संबंधों का भविष्य
बहरहाल भारत और चीन के रिश्ते बहुत जटिल हैं। हाल की घटनाओं से यह स्पष्ट है कि चीन के साथ किसी भी प्रकार के सहयोग में सतर्कता जरूरी है। पाकिस्तान और आतंकवाद से जुड़े मुद्दों के कारण, भारत को चीन के साथ अपने रिश्ते संभालने में सावधानी बरतनी होगी।