जयपुर जोधपुर के ज्योतिषी डॉ. अनीष व्यास के अनुसार पूजा-पाठ के लिए घर के उत्तर-पूर्वी कोने में गणपति जी की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। वहीं घर के मुख्य द्वार पर भी गणेश जी की मूर्ति लगाना उत्तम माना जाता है, क्योंकि यह घर का सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है।

गणेशजी की प्रतिमा से घर में पंचतत्व का समन्वय (Ganesh Idol Vastu Dosh Nivaran)
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार शास्त्रों में सभी कार्यों के निर्विघ्नतापूर्ण संपन्नता के लिए गणेश जी की आराधना का विधान है। कोई भी पूजा गणेश जी के बिना अधूरी समझी जाती है। वास्तु के पंचतत्व आकाश, पृथ्वी, जल, वायु तथा अग्नि से मिल करके ही मानव शरीर का निर्माण हुआ है। गणेश जी की प्रतिमा का प्रयोग वास्तु शास्त्र में पंचतत्व के समन्वय और विघ्नों का नाश कर शुभता के लिए किया जाता है।वास्तु शास्त्र में माना गया है कि घर और कार्यक्षेत्र में वास्तु नियमों का ध्यान रखने से व्यक्ति को इसके अच्छे परिणाम ही प्राप्त होते हैं। आपने कई लोगों को अपने ऑफिस डेस्क या फिर अपनी कार में गणेश जी रखते देखा होगा। वास्तु की दृष्टि से ऐसा करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
वास्तु विशेषज्ञ डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि नाना प्रकार की विधाओं में वास्तु शास्त्र के अंतर्गत गणेश जी का पूजन किया जाता है। चीन देश का वास्तु शास्त्र, फेंगशुई और रंग विज्ञान का समायोजन भी गणेश की उपासना पर ही आधारित है, बागुआ गणपति इसका प्रतीक है जिसका उपयोग फेंगशुई के अंतर्गत किया जाता है।

प्रतिमा की ऊंचाई आदि का ध्यान रखें (Ganesh Idol Height Vastu Dosh Nivaran)
गणेश जी की प्रतिमा की सूंड़ कहीं दाई ओर तो कहीं बायीं की ओर घूमी मिलती है। बाई सूंड़ वाले गणेश जी सौम्य स्वरूप के परिचालक है। इनकी पूजा से मोक्ष की प्राप्ति होती है, आत्मस्वरूप का ज्ञान प्राप्त होता है जबकि दांयी सूंड़ वाले गणेश जी से सांसारिक समृद्धि की प्राप्ति होती है। जब भी आप अपने घर-कार्यालय में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें तो किसी वास्तुशास्त्री से प्रतिमा की उंचाई, लम्बाई आदि विषयों की जानकारी लेकर ही शुभ मुहूर्त में गणेश जी को स्थापित करें।
उगते सूर्य की तरफ लगाएं प्रतिमा (Ganesh Idol Direction Vastu Dosh Nivaran)
वास्तु विशेषज्ञ डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि सामान्यतः उगते सूर्य की तरफ, जिस भी घर के सामने गणेश जी की प्रतिमा लगी होगी वहां प्रायः वास्तु दोष नहीं होता।
टॉयलेट के आसपास न लगाएं प्रतिमा
टॉयलेट की जगह कभी भी गणेश जी की प्रतिमा न लगायें, ऐसी जगह कभी भी गणेश जी न लगाएं जहां लोग थूकते हों। 
दो प्रतिमा लगाएं तो पीठ लगी रहे
यदि घर के मुख्य द्वार पर गणेश जी की प्रतिमा लगाया है तो उसके दूसरी तरफ ठीक उसी जगह गणेश जी की प्रतिमा इस प्रकार लगाएं कि दोनों की पीठ मिली रहे।
मुख्य द्वार दक्षिण की ओर है तो गणेश जी की सूंड़ ऐसी रहे (Lord Ganesha Sood)
अगर मकान का मुख्य द्वार का मुंह दक्षिण दिशा की ओर है तो गणेश जी की सूंड़ दाहिने तरफ होनी चाहिए। सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने के लिए बुधवार को भगवान गणेश को मोदक, 21 दूब, सिन्दूर, तथा पुष्प आदि चढ़ायें, तुलसी जी भूल करके नहीं चढ़ाना चाहिए, हो सके तो हाथी तथा चूहों को लड्डू खिलाएं।वास्तु अनुरूप स्थापित करें प्रतिमा (Idol Vastu Niyam)
वास्तु विशेषज्ञ डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि अगर आप वास्तु के नियमों के अनुसार अपने घर या कार्यक्षेत्र आदि में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करते हैं, तो इससे वास्तु दोष से मुक्ति पाई जा सकती है।इसके साथ ही घर और कार्यक्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है। इसका अच्छा प्रभाव परिवार के सदस्यों पर भी देखने को मिलता है और गणेश जी की कृपा से तरक्की के योग बनने लगते हैं। वास्तु शास्त्र में यह माना गया है कि भगवान गणेश की पूजा से रचना संबंधी वास्तु दोष दूर हो सकते हैं।

मूर्ति का रंग (Ganesh Idol Colour In House Vastu Dosh Nivaran)
वास्तु विशेषज्ञ डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में गणेश जी की सफेद रंग की मूर्ति स्थापित करना बहुत ही शुभ माना गया है। इसी के साथ आप सिंदूरी रंग की गणपति जी की मूर्ति भी घर में स्थापित कर सकते हैं।अगर आप बच्चों के स्टडी रूप में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करना चाहते हैं, तो इसके लिए पीले या हल्के हरे रंग की मूर्ति सबसे बेहतर मानी जाती है। आप इसे बच्चों के स्टडी टेबल पर स्थापित कर सकते हैं, इससे शिक्षा क्षेत्र में सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
ऑफिस में लगाएं ऐसी गणेश मूर्ति (Ganesh Idol In Office)
वास्तु विशेषज्ञ डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि वास्तु शास्त्र के अनुसार ऑफिस डेस्क पर भी भगवान श्री गणेश की मूर्ति लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऑफिस डेस्क पर गणेश जी की सफेद रंग की मूर्ति लगानी चाहिए।कार्यक्षेत्र में बप्पा जी की खड़ी हुई प्रतिमा लगाना अधिक शुभ माना जाता है। बस इस बात का ध्यान रखें कि गणेश जी का मुख दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए।