पिछले महीने वित्त विभाग की टीम ऑडिट करने पहुंची। रिपोर्ट में सामने आया कि आरएसएमएमएल ने 416वीं बोर्ड बैठक में पेंशन योजना को मंजूरी दी तो 17 जुलाई 2023 को पेंशन ट्रस्ट बनाकर लागू किया गया। उस दौरान 586 सेवानिवृत्त और 325 सेवारत कर्मचारियों ने ओपीएस विकल्प चुना।
कई कर्मचारी एक साथ दो पेंशन ले रहे
इनसे 123.65 करोड़ राशि वसूली गई, लेकिन अब सामने आया है कि कई कर्मचारी एक साथ दोनों योजनाओं से पेंशन ले रहे हैं। आरएसएमएमएल की 418वीं बोर्ड बैठक में यह तथ्य सामने आया कि दोहरे लाभ से कंपनी पर सालाना 55 करोड़ रुपए की देनदारी बन रही है। आकलन के अनुसार, लंबे समय के लिए यह देनदारी 510 करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है।
नहीं किया पत्राचार
बड़ी बात यह है कि न तो ईपीएफओ को इस बारे में सूचित किया गया और न ही राज्य सरकार से पत्राचार किया गया। स्पष्ट है कि नियमानुसार ईपीएफ का लाभ छोड़कर ही ओपीएस लेना था, लेकिन जिम्मेदारों की चुप्पी ने इसे एक घोटाले में बदल दिया। यह मामला अब प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि करोड़ों के संभावित पेंशन घोटाले की ओर इशारा है।
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले निर्णय
पिछली कांग्रेस सरकार ने चुनाव से ठीक पहले निर्णय लिया। इसके मुताबिक वित्त विभाग ने अप्रैल और जुलाई 2023 में आदेश जारी कर सार्वजनिक उपक्रमों में कार्यरत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का विकल्प देने की घोषणा की थी। निर्देश साफ थे कि जो कर्मचारी पहले सीपीएफ/ईपीएफ में थे, वे चाहें तो ओपीएस में स्थानांतरित हो सकते हैं, लेकिन दोनों योजनाओं से एक साथ लाभ नहीं ले सकते।
दोहरी पेंशन का खेल
-ओपीएस चुनने के बाद भी कई सेवानिवृत्त कर्मचारी अब भी ईपीएफ से पेंशन ले रहे हैं, जो नियमों का उल्लंघन है।
-आरएसएमएमएल के ट्रस्ट में जमा 123.65 करोड़ रुपए केवल 2-3 साल की देनदारी को ही पूरा कर पाएंगे, इसके बाद परेशानी है।
-एलआइसी के आकलन ने भविष्य के 510 करोड़ खर्च का खुलासा किया, जो कंपनी की बैलेंस शीट को डगमगा सकता है।
-राज्य सरकार और ईपीएफओ के बीच समन्वय की कमी से पेंशन प्रणाली की पारदर्शिता और भरोसे पर सवाल खड़ा होता है।
-अजय कुमार यादव, ईपीएफओ, रीजनल कमिश्नर (पेंशन)
हमने पहले ईपीएफओ को लिख दिया था। पेंशन की प्रक्रिया अभी ट्रांजेक्शन फेस में है। अभी पूरा स्पष्ट नहीं हो पाया है। इसके लिए हमने राज्य सरकार से पत्राचार किया है। मार्गदर्शन मिलने पर आगे की कार्रवाई होगी।
-सुरेश जैन, वित्तीय सलाहकार, आरएसएमएमएल