
इस सरकारी स्कूल में कक्षा 1 से 8वीं तक करीब 90 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। यह घटना ऐसे समय में हुई, जब कुछ ही दिन पहले झालावाड़ के पीपलोदी गांव में सरकारी स्कूल की छत गिरने से सात मासूम बच्चों की जान चली गई थी।
उस दर्दनाक हादसे के बाद राज्यभर में स्कूलों की जर्जर स्थिति पर सवाल उठने लगे थे। रूपावली की घटना ने एक बार फिर से शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली और लापरवाही को उजागर कर दिया है।
ग्रामीणों ने क्या बताया
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि वे कई बार स्कूल भवन की जर्जर स्थिति को लेकर शिक्षा विभाग व जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंप चुके हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। झालावाड़ हादसे के बाद रूपावली में भी ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर स्कूल की हालत सुधारने की मांग की थी।
प्रधानाध्यापक ने क्या कहा
प्रधानाध्यापक फतह सिंह झाला ने जानकारी दी कि विद्यालय भवन की हालत को लेकर विभाग को पहले ही सूचित किया गया था और मरम्मत के लिए राशि भी स्वीकृत हो चुकी है। हालांकि, समय पर मरम्मत नहीं होने से हादसे की नौबत आ गई। अब ग्रामीणों की मांग है कि सभी जर्जर स्कूल भवनों का तुरंत निरीक्षण हो और मरम्मत कार्य में कोई देरी न की जाए।