मार्कण्डेय महादेव मंदिर मेला
साल भर इस मंदिर में ‘हर हर महादेव’ और ‘ओम नम: शिवाय’ की गूंज सुनाई देती है। सावन माह में तो मानो तिल तक रखने की जगह नहीं होती है। कैथी गांव के पास स्थित मंदिर के पास सावन की शुरुआत के साथ मेला भी शुरू हो जाएगा।मृत्यु के देवता हुए थे पराजित
इस मंदिर की सबसे खास बात है कि यहां काल या मृत्यु के देवता यमराज भी पराजित हो गए थे। मार्कण्डेय महादेव मंदिर की पौराणिक कथा इसके महत्व को बताती है।मार्कण्डेय ऋषि की कथा
धार्मिक कथा के अनुसार, ऋषि मृकण्ड की कुंडली में संतान योग नहीं था। इस पर ऋषि ने पुत्र के लिए भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और कहा कि आपके जीवन में संतान योग नहीं है पर तपस्या के कारण आपको संतान मिलेगी, लेकिन आपको गुणी और दीर्घायु पुत्र में से एक चुनना होगा। गुणी पुत्र के चयन के कारण ऋषि पुत्र का जन्म हुआ, लेकिन वो अल्पायु था। इसके अनुसार पृथ्वी पर मार्कण्डेय ऋषि की आयु मात्र 14 वर्ष थी। मृत्यु से पहले पिता को चिंतित देख मार्कण्डेय ऋषि ने कारण पूछा तो उन्होंने वजह बता दी।इस पर ऋषि मार्कण्डेय ने भगवान भोलेनाथ की आराधना शुरू कर दी। जब मार्कण्डेय 14 वर्ष के हुए और यमराज उनके प्राण लेने आए, तब भोलेनाथ स्वयं प्रकट हुए। शिव ने यमराज को लौटने का आदेश दिया और कहा, “मेरा भक्त सदा अमर रहेगा और उसकी पूजा मुझसे पहले होगी।” यमराज के नियमों का हवाला देने पर युद्ध हुआ और यमराज पराजित हुए और उन्हें लौटना पड़ा। तभी से यह स्थल मार्कण्डेय महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया।