क्या है IRCTC Hotel Scam
IRCTC Hotel Scam लालू यादव के रेल मंत्री कार्यकाल से जुड़ा है। इसमें CBI ने आरोप लगाया है कि लालू ने आईआरसीटीसी के दो होटलों-रांची और पुरी के संचालन और रख-रखाव का ठेका एक निजी कंपनी सुजाता होटल्स को नियमों के खिलाफ जाकर दिया। बदले में लालू के परिवार को पटना में एक कीमती जमीन मिली। यह सौदा एक फर्जी कंपनी Delight Marketing Company के नाम से किया गया। CBI का कहना है कि यह जमीन सिर्फ 1.5 करोड़ रुपये में दी गई, जबकि इसकी मार्केट वैल्यू कहीं ज्यादा थी। 2010 से 2014 के बीच यह जमीन राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के नाम कर दी गई। CBI ने 2018 में चार्जशीट दाखिल की, जिसमें लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को आरोपी बनाया गया। CBI ने अक्टूबर में एक याचिका दायर कर तेजस्वी की जमानत रद्द करने की मांग की थी। CBI ने आरोप लगाया था कि तेजस्वी ने सार्वजनिक रूप से यह कहकर एजेंसी की छवि खराब की कि CBI राजनीतिक पार्टियों के दबाव में काम करती है। लेकिन दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि बेल रद्द करने का कोई ठोस आधार नहीं है।
लालू परिवार के ऊपर 4 और मामले चल रहे हैं, जिनमें एक में उन्हें बरी कर दिया गया। बाकी 2 में लालू यादव खुद आरोपी हैं और एक केस बेटी के ऊपर चल रहा है।
1- नौकरी के बदले जमीन घोटाला (Land for jobs scam)
CBI ने आरोप लगाया है कि जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे, तब पटना के 12 लोगों को रेलवे में ग्रुप D की नौकरियां दी गईं। बदले में इन लोगों ने अपने परिवार की जमीनें लालू के परिवार को बहुत कम कीमत में दे दीं। CBI के अनुसार, लालू यादव के परिवार ने कुल मिलाकर 1 लाख वर्गफुट से ज्यादा जमीन सिर्फ 26 लाख रुपये में खरीदी, जबकि उस समय सर्किल रेट के अनुसार जमीन की कुल कीमत 4.39 करोड़ रुपये से अधिक थी। इस मामले में 16 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटियां मीसा भारती और हेमा यादव के साथ वे 12 लोग, जिन्हें रेलवे में नौकरी मिली थी। ये सभी नियुक्तियां मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर रेलवे जोन में की गई थीं। जमीनें पटना और अन्य शहरों में स्थित हैं।
2- चारा घोटाला (Fodder Scam)
यह मामला 1997 का है और लालू यादव के करियर का सबसे बड़ा घोटाला माना जाता है। CBI ने आरोप लगाया था कि बिहार सरकार के खजाने से 950 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई। यह पैसा गाय-भैंस के चारे की सप्लाई के नाम पर निकाला गया, जबकि सप्लाई या कंपनियां असली नहीं थीं। इस मामले में लालू पर धोखाधड़ी (Forgery), आपराधिक साजिश (Criminal Conspiracy) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत केस दर्ज हुआ। घोटाले के सामने आने के बाद लालू को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया। लालू को रांची के बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में गिरफ्तार कर बंद किया गया। बाद में उन्हें 5 साल की सजा हुई और वे सांसद पद से अयोग्य (Disqualified as MP) करार दिए गए। इसी समय लालू ने जनता दल छोड़कर अपनी अलग पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) बनाई थी।
3- आय से अधिक संपत्ति का मामला (Disproportionate Assets Case)
1998 में लालू यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज हुआ था। इनकम टैक्स विभाग का दावा था कि लालू ने सरकारी खजाने से 46 लाख रुपये गबन किए। इस मामले में राबड़ी देवी को भी सह आरोपी बनाया गया था, क्योंकि उन्होंने इस अपराध में लालू की मदद की। साल 2000 में दोनों ने CBI की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण किया। उस वक्त राबड़ी बिहार की मुख्यमंत्री थीं, इसलिए उन्हें तुरंत बेल मिल गई। लालू को भी बाद में पटना हाईकोर्ट से बेल मिली। 2006 में अदालत ने दोनों को बरी कर दिया यानी सभी आरोपों से मुक्त कर दिया।
4- मनी लॉन्ड्रिंग का केस (Money Laundering Case)
प्रवर्तन निदेशालय (ED) लालू यादव की बेटी मीसा भारती और उनके पति शैलेश कुमार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रहा है। आरोप है कि उन्होंने एक फर्जी कंपनी Mishail Printers and Packers Pvt. Ltd. के जरिए 1.2 करोड़ रुपये की हेराफेरी की। 2017 में ED ने दिल्ली में मौजूद उनका फार्महाउस जब्त कर लिया था। यह फार्महाउस इसी फर्जी कंपनी के नाम पर था। ED ने मीसा भारती और उनके पति समेत सुरेंद्र कुमार जैन और वीरेन्द्र जैन नाम के दो भाइयों के खिलाफ केस दायर किया। इन पर आरोप है कि इन्होंने कई शेल कंपनियों के जरिए करोड़ों रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की और इस फर्जीवाड़े में लालू के परिवार के सदस्य मुख्य भूमिका में थे। 2019 में ED ने मीसा और शैलेश के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की।