ट्रैक्टरों के साइलेंसर निकाल बना दिए टैंक
1971 में युद्ध विराम के बाद हुई घटना से सीमा पर टैंक व पर्याप्त बटालियन नहीं होने से बीएसएफ की चिंता बढ़ गई। मामले में प्रशासन व पुलिस ने स्थानीय नागरिकों से बैठक की। सत्यनारायण भाटी नामक युवक ने ट्रैक्टरों के साइलेंसर निकालकर चलाने की सलाह दी। इस पर आस-पास के गांवों से करीब दो दर्जन ट्रैक्टर जुटाए गए। युद्ध विराम के 10 दिन बाद 27 दिसंबर को सीमा क्षेत्र में ये ट्रैक्टर चलाए तो पाकिस्तानी सेना टैंकों की आवाज समझ भ्रमित होकर एकबारगी पीछे हट गई और भारतीय सेना को यहां पहुंचने का समय मिल गया।पैरा बटालियन ने किया था हमला
1971 का भारत-पाक युद्ध समाप्त हुए दस दिन बीत चुके थे। किसी को यह गुमान नहीं था कि युद्ध में करारी हार के बाद पाक सेना भारतीय सीमा में घुसने का दुस्साहस भी कर सकती है। 26 दिसंबर 1971 को पाक सेना भारतीय सीमा में घुसी और रेतीले धोरों से घिरे एक वर्ग किमी क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। इस पर सेना की 4-पैरा बटालियन ने 28 दिसंबर की सुबह ४ बजे हमला बोला और दो घंटे की लड़ाई में दुश्मन को घर का रास्ता दिखा दिया।सीजफायर होने पर लोगों में खुशी का माहौल
सीजफायर होने पर लोगों में खुशी का माहौल है। एलओसी पर गोलीबारी की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। 1971 में युद्ध विराम के बाद नग्गी में पाकिस्तान की ओर से हुई नापाक हरकत आज भी जेहन में है। तकनीकी अधिकारी के रूप में तब मैं भी वहीं तैनात था। ऐसे में दुश्मन पर भरोसा करना मुश्किल है।एसएस सैनी (77 वर्ष), रिटायर्ड कर्नल, पंजाब