अधिवक्ता के रूप में पिता-पुत्र की जोडी सादुलशहर बार संघ के पूर्व अध्यक्ष अधिवक्ता धर्मेन्द्र शर्मा फौजदारी मामलों मेंं पैरवी करने और कानूनी पहलूओं के पुराने जानकार है। शर्मा ने सादुलशहर और श्रीगंगानगर में अधिवक्ता के साथ साथ प्रखर वक्ता के रूप में अपनी पहचान बनाई। शर्मा को देखकर उनके बेटे नवीन शर्मा ने अपना कैरियर वकालत में अपनाने का संकल्प लिया और अपनी अलग पहचान बनाने के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर में प्रेक्टिस शुरू की। इस पिता पुत्र की जोडी ने कई प्रकरणों में अच्छे कानूनी पहलूओं को अदालतों में रखे जिससे संबंधित पक्षकारों को फायदा भी पहुंचा।
खुद नहीं बना तो अपने बेटे को बनाया न्यायिक अफसर ज़िले कि सूरतगढ़ तहसील के गांव घमंडिया चक 1 जी.एम.डी. (ढाणी) में निवासी अधिवक्ता बनवारीलाल कड़ेला कभी स्वयं न्यायिक अधिकारी बनने का सपना देखा था। उन्होंने राजस्थान न्यायिक सेवा परीक्षा और राजस्थान उच्च न्यायिक सेवा की तैयारी भी की, पर जीवन की जिम्मेदारियों ने उन्हें वकालत तक सीमित रखा। लेकिन उनके भीतर का सपना बुझा नहीं। वह उनके हृदय में धधकता रहा। अपने जीवन के अनुभवों और न्यायप्रिय सोच के साथ, उन्होंने अपने दोनों पुत्रों अंकित कड़ेला और जतिन कड़ेला को न केवल पढ़ाई में उनका मार्गदर्शन किया, बल्कि उन्हें यह सिखाया कि कानून का कार्य सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि समाज सेवा का एक माध्यम है। बारहवीं कक्षा के बाद जब करियर चुनने का समय आया, तो पिता के प्रेरणादायक शब्दों और आशीर्वाद से दोनों बेटों ने विधि को अपनाया। दिन-रात की मेहनत और पिता की छाया व मार्गदर्शन के साथ वर्ष 2024 की आरजेएस परीक्षा उनके जीवन का निर्णायक मोड़ बन गई। बड़े बेटे अंकित कड़ेलाआरजेएस की मुख्य परीक्षा तक पहुँचे लेकिन छोटे बेटे जतिन कड़ेला ने इतिहास रच दिया। जतिन अपने पहले ही प्रयास में आरजेएस परीक्षा उत्तीर्ण करके देश के सबसे कम उम्र के न्यायाधीश बनने का गौरव प्राप्त किया।