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मलेरिया से राहत, डेंगू बढ़ा रहा चिंता

पिछले 5 साल में लगातार घटते जा रहे हैं मलेरिया के रोगी प्रदेश सहित सीकर में मच्छर जनित जानलेवा बीमारी मलेरिया के रोगी लगातार कम होते जा रहे हैं। इसकी बानगी है कि 2020 में जहां प्रदेश में मलेरिया के 13,450 मामले मिले थे।  व संख्या अब 2024 में घटकर मात्र 1,220 रह गई है। […]

सीकरApr 25, 2025 / 12:07 pm

Puran

Dengue Virus

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पिछले 5 साल में लगातार घटते जा रहे हैं मलेरिया के रोगी

प्रदेश सहित सीकर में मच्छर जनित जानलेवा बीमारी मलेरिया के रोगी लगातार कम होते जा रहे हैं। इसकी बानगी है कि 2020 में जहां प्रदेश में मलेरिया के 13,450 मामले मिले थे। व संख्या अब 2024 में घटकर मात्र 1,220 रह गई है। राहत की बात है महामारी के पर्याय मलेरिया से होने वाली मौतों की संख्या भी खासी गिर गई है। वहीं डेंगू के हर तीन साल में म्यूटेंट वायरस के कारण मरीज बढ़ जाते हैं। चिकित्सकों के अनुसार मलेरिया रोग के कम होने मुख्य वजह प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियां हैं। यहां ज्यादातर इलाके सूखाग्रस्त रहते हैं। नदी-नालों व हरियाली की कमी से मच्छरों को पनपने के लिए पर्याप्त पानी तक नहीं मिल रहा है। जिससे मादा एनाफिलिज को संख्या में बढ़ाने के लिए भी पर्याप्त स्रोत नहीं मिल रहे है। जबकि एडिज मच्छरों की संख्या बढ़ती जा रही है। मलेरिया रोग के प्रति जागरुकता को लेकर हर साल 25 अप्रेल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष मलेरिया दिवस की थीम रीइन्वेस्ट, रीइमेजिन, रीजिनाइट रखी गई है। जिसका मतलब है कि मलेरिया के खिलाफ बनी रणनीति को दोबारा सोचने, नए तरीकों को अपनाने और दोबारा उत्साह के साथ काम करने की जरूरत है। 

इधर चिंता बढ़ा रहा डेंगू

मलेरिया प्लाज्मोडियम नाम के पैरासाइट के कारण होता है, जो इन्फेक्टेड फीमेल एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। मलेरिया की पहचान एंटीजन और एंटीबॉडी टेस्ट से की जाती है। मलेरिया ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में फैलता है, जबकि डेंगू शहरी इलाकों में ज्यादा पाया जाता है। डेंगू वायरस (डेन-1, डेन-2, डेन-3, डेन-4) के कारण होता है। यह रोग संक्रमित मादा एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। डेंगू रोगी की जांच एनएस वन एंटीजन टेस्ट से होती है। आमतौर पर बारिश के सीजन में मलेरिया के केस सामने आने लगते है। अब मलेरिया ऐसी बीमारी बन गई है, जिसकी मृत्यु दर बहुत कम है और इसके मामले भी पिछले कुछ वर्षों में कम हो रहे हैं। वहीं मलेरिया पुरानी बीमारी है, इस कारण लोग जागरूक भी हो रहे हैं। बहुत सारे नदी-तालाब राजस्थान में नहीं है। दूसरा हरियाली ज्यादा नहीं है। ज्यादातर इलाका सूखाग्रस्त है, ये सभी कारण मिलकर ही केस में कमी आई है। हालांकि दूसरे राज्यों व देशों में भी मलेरिया लगातार घट रहा है।

पांच साल में 73 प्रतिशत गिरावट

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में वर्ष 2000 में मलेरिया के दो करोड़ मामले मिले थे, जो 2019 में घटकर 56 लाख तक पहुंच गए। वर्ष 2019 में विश्व में 22.9 करोड़ मामले सामने आए। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में 4,11,000 मौतें हुईं थीं, जो भी 2019 में घटकर 4,09,000 हो गईं। दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में मलेरिया के मामलों में 73 और मौतों में 74 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। 

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