इधर चिंता बढ़ा रहा डेंगू
मलेरिया प्लाज्मोडियम नाम के पैरासाइट के कारण होता है, जो इन्फेक्टेड फीमेल एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। मलेरिया की पहचान एंटीजन और एंटीबॉडी टेस्ट से की जाती है। मलेरिया ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में फैलता है, जबकि डेंगू शहरी इलाकों में ज्यादा पाया जाता है। डेंगू वायरस (डेन-1, डेन-2, डेन-3, डेन-4) के कारण होता है। यह रोग संक्रमित मादा एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। डेंगू रोगी की जांच एनएस वन एंटीजन टेस्ट से होती है। आमतौर पर बारिश के सीजन में मलेरिया के केस सामने आने लगते है। अब मलेरिया ऐसी बीमारी बन गई है, जिसकी मृत्यु दर बहुत कम है और इसके मामले भी पिछले कुछ वर्षों में कम हो रहे हैं। वहीं मलेरिया पुरानी बीमारी है, इस कारण लोग जागरूक भी हो रहे हैं। बहुत सारे नदी-तालाब राजस्थान में नहीं है। दूसरा हरियाली ज्यादा नहीं है। ज्यादातर इलाका सूखाग्रस्त है, ये सभी कारण मिलकर ही केस में कमी आई है। हालांकि दूसरे राज्यों व देशों में भी मलेरिया लगातार घट रहा है।
पांच साल में 73 प्रतिशत गिरावट
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में वर्ष 2000 में मलेरिया के दो करोड़ मामले मिले थे, जो 2019 में घटकर 56 लाख तक पहुंच गए। वर्ष 2019 में विश्व में 22.9 करोड़ मामले सामने आए। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में 4,11,000 मौतें हुईं थीं, जो भी 2019 में घटकर 4,09,000 हो गईं। दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में मलेरिया के मामलों में 73 और मौतों में 74 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।