यों समझे फायदा जिले में पशुपालन व्यवसाय से करीब 80 हजार किसान सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। पशुपालकों के अनुसार नए प्रावधान से पशुपालक को अपने मृत पशु को अस्पताल ले जाने या पोस्टमार्टम कराने की जरूरत नहीं होगी। साथ ही बीमा क्लेम जल्द मिलने से पशुपालक फौरन नए पशु की खरीद कर अपनी आजीविका शुरू कर सकेगा। योजना में आए बदलाव से बीमा योजना और अधिक प्रभावी और सरल होगा। जिससे अधिक पशुपालकों को फायदा हो सकेगा।
यह है योजना मंगला पशु योजना में 10 बकरियों और 10 भेड़ों की एक ही यूनिट माना गया है। गाय, भैंस, ऊंट की श्रेणी में एक पशु को एक ही यूनिट माना गया है। योजना में एक यूनिट पर सरकार ने 40000 रुपए बीमित राशि दी जाएगी। एक वर्ष तक बीमा योजना में पशुपालक से बीमा प्रीमियम के रूप में कोई राशि नहीं ली जाएगी। पशुओं के बीमा के लिए निर्धारित उम्र अनुसार गाय की उम्र 3 से 12 वर्ष और भैंस की 4 से 12 वर्ष होनी चाहिए।
पशुपालकों का योजना के प्रति बढ़े रुझान मुयमंत्री मंगला पशु बीमा योजना में बीमित पशु के मृत्यु प्रमाण पत्र के पोस्टमार्टम की अनिवार्यता को हटाया गया है। निदेशालय के अनुसार पशु चिकित्सक पंचनामा बनाकर भी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर सकेंगे। जिससे पशुपालकों का योजना के प्रति रुझान बढ़ जाएगा। वहीं पशु चिकित्सकों को भी राहत मिलेगी।
डॉ. दिनेश नेहरा, सदस्य, राजस्थान राज्य पशु चिकित्सा परिषद