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सीकर के कल्याण अस्पताल में नाम के मल्टी टॉस्क वर्कर, मरीज व परिजन बेहाल

वार्ड से सैपल कलेक्शन से लेकर जांच कक्ष तक ले जाने की होती है जिम्मेदारी मेडिकल कॉलेज से सबद्ध कल्याण अस्पताल के वार्ड, ओपीडी और ट्रोमा यूनिट में चार दर्जन मल्टी टॉस्क वर्कर (एमटीडब्ल्यू) लगाए हुए हैं, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इनकी ड्यूटी कहां और कब लगती है, इसका पता खुद ओपीडी […]

सीकरJun 25, 2025 / 11:25 am

Puran

वार्ड से सैपल कलेक्शन से लेकर जांच कक्ष तक ले जाने की होती है जिम्मेदारी

मेडिकल कॉलेज से सबद्ध कल्याण अस्पताल के वार्ड, ओपीडी और ट्रोमा यूनिट में चार दर्जन मल्टी टॉस्क वर्कर (एमटीडब्ल्यू) लगाए हुए हैं, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इनकी ड्यूटी कहां और कब लगती है, इसका पता खुद ओपीडी स्टाफ को भी नहीं होता। आश्चर्य की बात है कि अस्पताल प्रबंधन की ओर से मल्टी टास्क वर्कर की केवल संया ही लिखी जाती है जबकि किस कर्मचारी को कहां भेजना है यह काम प्लेसमेंट एजेंसी के सुपरवाइजर की ओर से किया जाता है। यही कारण है कि संवेदनशील जगहों पर सही क्षमता वाले मल्टी टॉस्क वर्कर नहीं होते हैं। बार-बार इनकी ड्यूटी बदलने से स्टॉफ भी इन्हें नहीं पहचान पाता है। यही कारण है कि अस्पताल में भर्ती होने के साथ ही मरीज की पीड़ा शुरू हो जाती है। मरीज व परिजनों को एक्सरे, सोनोग्राफी, एमआरआई जैसी जांच करवाने के लिए स्टॉफ की मिन्नतें करनी पड़ती है। इसके बाद जब ट्रॉली या एमटीडब्ल्यू मिलता है लेकिन वो भी महज मरीज की जांच के दस्तावेज लेकर आगे-आगे चलता रहता है और मरीज के परिजन ट्रॉली या व्हील चेयर लेकर जाते हैं। यही कारण है कि मरीज इस अव्यवस्था से थकहार कर इलाज पूरा करने से पहले ही अस्पताल से चला जाता है। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार अस्पताल में 55 मल्टी टॉस्क वर्कर लगाए हुए हैं।
पूरी जिम्मेदारी फिर भी नदारद

मरीजों को समय पर व्हीलचेयर, स्ट्रेचर और फाइल शिटिंग जैसी सेवाएं मिलनी चाहिए, जो कि इन मल्टी टॉस्क वर्कर्स की जिम्मेदारीहोती है इसके बावजूद भी अक्सर मरीज के परिजनों को सैपल कलेक्शन के बाद लैब तक पहुंचाने पड़ते हैं। मेडिसिन वार्ड में भर्ती मरीज के सालासर से आए परिजन ने बताया कि मल्टी टॉस्क वर्कर का न तो तय ड्यूटी चार्ट दिखता है और न ही कोई जिमेदार वर्कर मौके पर नजर आता है। ऐसे में मरीजों की समय पर सहायता और पारदर्शिता के लिए अस्पताल प्रबंधन को प्रत्येक वार्ड में नर्सिंग स्टेशन के पास बोर्ड पर संबंधित के मोबाइल नबर के साथ एंट्री करनी चाहिए जिससे मरीज व परिजन को समय पर सहायता मिल सके।
इनका कहना है

अस्पताल में भर्ती होने के बाद से सैपल को लैब तक पहुंचाने और लैब से रिपोर्ट लाने तक की जिमेदारी मल्टी टॉस्क वर्कर की होती है। ऐसा नहीं हो रहा है तो टीम बनाकर जांच करवाई जाएगी। अस्पताल में लगे फिलहाल 55 मल्टी टॉस्क वर्कर हैं।
डॉ. केके अग्रवाल, अधीक्षक कल्याण अस्पताल

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