धौलपुर. देहदान को एक सामाजिक जिम्मेदारी माना गया है, लेकिन लोग इस तरफ न देखते हुए अपनी अभिलाषाओं में सारा जीवन व्यतीत कर देते हैं। लेकिन बदलते परिवेश के साथ अब लोगों की सोच भी बदल रही है। इसी का ही परिणाम है कि धौलपुर मेडिकल कॉलेज में चार दानवीरों ने अपनी देह दान का संकल्प लिया है। जो लोगों के सामने मिशाल और बेहतर उदाहरण की तस्वीर रखता है।धौलपुर मेडिकल कॉलेज में देहदान नहीं होने से सदा कैडेवर की कमी रही है। जिस कारण कॉलेज में पढऩे वाले छात्रों को चिकित्सा अनुसंधान में परेशानी आती रही है। शहर सहित जिले में निवासरत लोगों ने अभी तक देहदान में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। लेकिन एनोटॉमी विभागाध्यक्ष और कॉलेज प्रबंधक के प्रयासों से धीरे-धीरे लोगों के कदम अब देहदान की ओर उठ रहे हैं। अपे्रल से लेकर अभी तक मेडिकल कॉलेज में चार लोगों ने देहदान का संकल्प लिया। जिनका संकल्प पत्र एनोटॉमी विभागाध्यक्ष डॉ. संतोष गुप्ता ने पूर्ण कराया। इन दानवीरों में गुरुद्वारा रोड स्थित अशोक विहार कालोनी में रहने वाला दंपति जोड़ा अंजली शर्मा और राजकुमार शर्मा शामिल हैं। इसके अलावा शेष दो अन्य दानवीर अशोक कुमार सक्सेना और हरी सिंह भी धौलपुर शहर में ही निवासरत हैं। जिन्होंने देहदान को सामाजिक जिम्मेदारी बताते हुए, लोगों को आगे आकर अपनी भूमिका अदा करते हुए देहदान करने की अपील की।
मेडिकल कॉलेजों में देहदान की कमी गंभीर समस्या मेडिकल कॉलेजों में देहदान की कमी एक गंभीर समस्या है, जिससे चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और शोध में बाधा आती है। मेडिकल छात्रों को मानव शरीर की संरचना सीखने के लिए मृत शरीरों की आवश्यकता होती है, लेकिन देहदान की कमी के कारण यह सुनिश्चित करना मुश्किल होता है। देहदान से छात्रों को मानव शरीर की संरचना और कार्यप्रणाली को समझने में मदद मिलती है। इससे उन्हें व्यावहारिक प्रशिक्षण मिलता है और वे भविष्य में बेहतर डॉक्टर बन पाते हैं। धौलपुर मेडिकल कॉलेज में अभी 300 विद्यार्थी एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं।
देहदान को लेकर किया जा रहा जागरूक एनोटॉमी विभागध्यक्ष एवं सहायक आचार्य डॉ. संतोष गुप्ता ने बताया कि राजकीय मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस प्रथम वर्ष में अध्ययनरत विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए कैडेवर की आवश्यकता होती है, लेकिन कॉलेज में अभी तक एक भी देहदान नहीं हो पाया। जिसको ध्यान में रखते हुए कॉलेज प्रिंसीपल दीपक कुमार दुबे के मार्गदर्शन में धु्रव सिंह व अन्य लोगों के साथ हमारी टीम ने देहदान के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के साथ जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। जिसका ही परिणाम भी अब धीरे-धीरे देखने को मिल रहा है। डॉ. गुप्ता ने बताया कि लोगों को इस ओर प्रोत्साहित कर सकें इसके लिए एनजीओ का भी सहारा लिया जा रहा है।
देह किसी के काम आए इससे बड़ी क्या बात देहदान को लेकर संकल्प पत्र भरने वाले दंपति अंजली शर्मा और राजकुमार शर्मा ने बताया कि यह देह ईश्वर की दी हुई है। अगर यह किसी के काम आ जाए तो इससे अच्छी और क्या बात। राजकुमार ने पत्रिका को बताया कि उनका और उनकी पत्नी दोनों का देहदान को लेकर मन पिछले काफी समय से था, लेकिन इंतजार सही समय का किया जा रहा था। सोमवार को उन्होंने मेडिकल कॉलेज के एनोटॉमी विभागाध्यक्ष के समक्ष उपस्थित देहदान का संकल्प पत्र भरा। मिलिट्री स्कूल से अध्ययन करने वाले राजकुमार शर्मा ने कहा कि आज देहदान को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने के साथ अभियान चलाने का कार्य भी वह प्रारंभ करेंगे। जिससे अधिक से अधिक लोग इस पुण्य कार्य में सहभागी बन सकें।
मृत शरीर को इस तरह रखते हैं सुरक्षित मेडिकल कॉलेज में दान में मिलने वाले मृत शरीर को सालों तक सुरक्षित रखने के लिए कैमिकल का उपयोग किया जाता है। शरीर में खून की नलियों में कैमिकल डालने के बाद शरीर को केमिकल के टैंक में डुबोकर रखा जाता है। जब छात्रों को प्रेक्टिकल करना होता है तो शरीर को टैंक से बाहर निकाला जाता है। इसके बाद फिर टैंक में रख दिया जाता है।
दो गवाह और आधार कार्ड हो गया देहदान देहदान करने की प्रक्रिया भी काफी सरल है। देहदान को लेकर दो प्रकार के फार्म भरे जाते हैं जिसमें एक फार्म स्वयं की इच्छा से देहदान तो दूसरा मृत्यु के बाद परिजनों की इच्छा से देहदान शामिल है। इसके लिए दो गवाह और आधार कार्ड की आवश्यकता होती है। जिसके बाद आप आसानी से देहदान का संकल्प ले सकते हैं।
इस प्रकार की बॉडी का नहीं हेता देहदान मृत्यु के उपरांत देहदान के बाद मेडिकल विद्यार्थी कैडेवर का उपयोग चिकित्सा अनुसंधान के लिए करते हैं। जिसके लिए देहदान को लेकर भी नियम बनाए गए हैं। इस दौरान क्षति विक्षत, सड़ी गली, जली हुई, अत्यधिक संक्रमित, अत्यधिक मोटी, मेडिको लीगल केसेज, संदिग्ध मृत्यु वाले मृत शरीर का देहदान नहीं किया जाता है।
देहदान को लेकर लोगों को जागरूक और प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिससे इस कार्य में और भी लोग जुड़ सकें। अभी तक चार लोग देहदान को लेकर संकल्प पत्र भर चुके हैं। -डॉ. दीपक दुबे, प्रिंसीपल मेडिकल कॉलेज