डॉक्टर समेत 100 से अधिक बेटियां चुनेंगी आध्यात्म की राह, अलौकिक दिव्य समर्पण समारोह में माता-पिता ‘दीदियों’ के हाथों में सौपेंगे ‘लाड़ली’ का हाथ
ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन के डायमंड हाल में शुक्रवार शाम 6 बजे से इन बेटियों का अलौकिक दिव्य समर्पण समारोह आयोजित किया जाएगा।
कॉन्फ्रेंस हाल में परिजन व ब्रह्मचारिणी बेटियां (फोटो: पत्रिका)
Brahma Kumaris HQ Shantivan: उच्च शिक्षित सौ से अधिक ब्रह्मचारिणी बेटियां संयम पथ पर चलते हुए ब्रह्माकुमारी बनने जा रही हैं। देशभर से पहुंची इन बेटियों ने पहले बाकायदा उच्च शिक्षा बीए, बीएससी, बीकॉम और डॉक्टरेट करने के बाद अध्यात्म की राह अपनाई है।
ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन के डायमंड हाल में शुक्रवार शाम 6 बजे से इन बेटियों का अलौकिक दिव्य समर्पण समारोह आयोजित किया जाएगा। इसमें सौ से अधिक बेटियां पांच हजार से अधिक लोगों की मौजूदगी में विश्व कल्याण का संकल्प लेंगी। साथ ही आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत को धारण करते हुए परमात्मा शिव को अपने जीवनसाथी के रूप में स्वीकार करेंगी।
ब्रह्मचारिणी बेटियों से मुलाकात करती दीदी (फोटो: पत्रिका)
निकाली जाएगी शोभायात्रा
शाम 5 बजे से शांतिवन में शोभायात्रा निकाली जाएगी। जिसमें सज-धजकर सभी बहनें और उनके माता-पिता व परिजन शामिल होंगे। इसके बाद डायमंड हॉल में विधि-विधान से इन बेटियों के समर्पण की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। समर्पण के एक दिन पूर्व अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी दीदी व संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके संतोष दीदी ने इन बेटियों और परिजन से एक-एक कर मुलाकात की।
माता-पिता लाड़लियों का हाथ दीदियों के हाथों में सौपेंगे
समारोह में इन बेटियों के माता-पिता अपनी-अपनी लाड़लियों के हाथ संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी मुन्नी दीदी, संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी संतोष दीदी के हाथों में सौपेंगे। इसके बाद से इन बेटियों की जिमेदारी ब्रह्माकुमारीज की हो जाएगी। मन-वचन-कर्म से संपूर्ण समर्पण के साथ ईश्वरीय नियमों का पालन करते हुए सेवाएं प्रदान करेंगी।
राजयोग मेडिटेशन से होती है शुरुआत
ब्रह्माकुमारीज से जुड़ने की शुरुआत राजयोग मेडिटेशन के सात दिवसीय कोर्स से होती है। जो संस्थान के देश-विदेश में स्थित सेवा केंद्रों पर नि:शुल्क सिखाया जाता है। कोर्स के बाद छह माह तक नियमित सत्संग, राजयोग ध्यान के अभ्यास के बाद सेंटर इंचार्ज दीदी की ओर से सेवाकेंद्र पर रहने की अनुमति दी जाती है। तीन साल तक सेवा केंद्र पर संस्थान की गाइडलाइन का पालन करना जरूरी होता है। बहनों का आचरण, चाल-चलन, स्वभाव, व्यवहार देखा-परखा जाता है। शांतिवन आबूरोड के लिए माता-पिता के अनुमति पत्र, साइन के साथ पूरी प्रोफाइल के साथ फाइल बनाकर भेजी जाती है। फिर ब्रह्माकुमारी के रूप में समर्पण की प्रक्रिया पूरी की जाती है। फिर बहनें पूर्ण रूप से सेवा केंद्र के माध्यम से ब्रह्माकुमारी के रूप में अपनी सेवाएं देती हैं।
वर्ष 1937 में ब्रह्माकुमारीज़ की नींव रखी गई। तब से लेकर अब तक 87 वर्ष में संस्थान में 50 हजार ब्रह्माकुमारी बहनों ने अपना जीवन मानव सेवा के लिए समर्पित किया है। ये बहनें तन-मन-धन से समाजसेवा, विश्व कल्याण और सामाजिक, आध्यात्मिक सशक्तिकरण के कार्य में जुटी हैं।
इससे पहले शांतिवन में 29 जून 2023 को ब्रह्माकुमारीज़ के इतिहास का सबसे बड़ा समर्पण समारोह हुआ था। जिसमें 450 बेटियों ने एकसाथ अपना जीवन समर्पित किया था। इनमें कई बहनें सीए, एमटेक और डॉक्टरेट थीं।
ब्रह्माकुमारी बनने जा रही बेटियों के अनुभव
डॉ. बीके पूजा ने कहा कि ‘मैं बचपन से ही ब्रह्माकुमारीज़ के संपर्क में थी। मैंने राजयोग मेडिटेशन सीखा। समाजसेवा और विश्व कल्याण के उद्देश्य से मैंने ब्रह्माकुमारी बनने का संकल्प किया है’। एमए शिक्षा प्राप्त मध्य-प्रदेश की बीके ज्योति ने कहा कि मैं पिछले 30 साल से राजयोग का अभ्यास कर रही हूं। माता-पिता की आज्ञा लेकर ब्रह्मचर्य व्रत को अपनाते हुए ब्रह्माकुमारी बनने का संकल्प किया। बीकॉम शिक्षा प्राप्त मध्यप्रदेश की बीके स्वाति ने कहा कि बचपन से ही मेरा संकल्प था कि मुझे कुछ समाज के लिए कुछ करना है। परमात्मा को ही अपने जीवन साथी के रूप में स्वीकारने का संकल्प किया है।
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