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सिंगरौली

ग्रामीण क्षेत्रों में फैली नई घातक बिमारी, लीवर और ब्रेन में होता है नुकसान, जानें बचने के उपाय

mp news: एमपी के सिंगरौली जिले में एक संक्रमण ने तेजी से पैर पसारना शुरू कर दिया है। अस्पतालों में रोजाना मरीज पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञों ने इसे गंभीर मानते हुए सतर्कता की सलाह दी है।

सिंगरौलीAug 05, 2025 / 12:46 pm

Akash Dewani

scrub typhus infection patients singrauli mp news

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scrub typhus infection: सिंगरौली जिले में स्क्रब टाइफस मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। जिला अस्पताल ट्रामा सेंटर में रोजाना स्क्रब टाइफस के लक्षण वाले 15 से 20 मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। खासकर ग्रामीण व पहाड़ी क्षेत्रों में समस्या ज्यादा है। इस संक्रमण से प्रभावित मरीजों को चिकित्सक सतर्क करते हुए एहतियात बरतने की सलाह दे रहे हैं, क्योंकि यह संक्रमण तेजी से फैल रहा है और लीवर, किडनी व मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है।

क्या है स्क्रब टाइफस? सिंगरौली में मिले 11 मामले

डॉ. राजेश वैश्य के अनुसार, स्क्रब टाइफस एक जीवाणुजनित बीमारी है जो रिकेटसिया कीट के काटने से होती है। यह ज्यादातर पहाड़ी व खेतों में काम करने वाले लोगों को प्रभावित करती है। कीट के काटने से छोटे घाव बनते हैं और मरीजों को तेज बुखार, जोड़ों में दर्द, चकत्ते और शरीर में कमजोरी होती है। यदि इलाज समय पर नहीं हुआ तो किडनी, लीवर व ब्रेन फीवर जैसी गंभीर स्थितियां बन सकती हैं। जुलाई माह में 79 मरीजों की जांच हुई, जिनमें से 11 मरीज पॉजिटिव पाए गए। (mp news)

जांच में देरी

स्क्रब टाइफस की जांच जिला अस्पताल के आरटीपीसीआर लैब में हो रही है, लेकिन बढ़ती संया के कारण जांच में देरी हो रही है। रिपोर्ट मिलने में दो से तीन दिन तक का समय लग रहा है, जिससे समय पर इलाज शुरु करना चुनौतीपूर्ण हो रहा है। (mp news)

3-4 दिन में आती है रिपोर्ट

स्क्रब टाइफस के लक्षण वाले मरीजों की जांच हो रही है। यह बात और है कि रिपोर्ट मिलने में तीन से चार दिन का वक्त लग रहा है। कोशिश रहती है कि मरीजों को समय पर रिपोर्ट प्राप्त हो जाए। जिससे चिकित्सक समय पर उपचार शुरु कर सकें।
डॉ. देवेन्द्र सिंह, सिविल सर्जन जिला अस्पताल।

बीमारी के लक्षण

बुखार आने के दौरान कंपकंपी के साथ जोड़ों में दर्द और शरीर टूटने लगती है। शरीर में चकत्ते व घाव के निशान, आंखों के आसपास दर्द, पेट में गड़बड़ी होने लगती है। शुरुआत में ही इन लक्षणों को पहचान कर इस पर नियंत्रण किया जा सकता है लेकिन अगर यह बीमारी पूरी तरह शरीर में फैल जाए तो राहत मिलना मुश्किल हो जाता है।

इस सीजन में बढ़ जाता है खतरा

गांव-देहात और पहाड़ी क्षेत्रों में जलभराव व गंदगी के कारण रिकेटसिया कीट अधिक उत्पन्न होते हैं, जो इस बीमारी को फैलाते हैं। इस संक्रमण को जानलेवा माना जा रहा है क्योंकि इसका प्रभाव तीव्र होता है और अभी तक इसके लिए प्रभावी इलाज सीमित हैं। जिले में अब तक दर्जनभर से अधिक मरीज इसका शिकार हो चुके हैं।

रोकथाम के उपाय

  • पैरों को ढकने वाले कपड़े पहनें
  • हमेशा जूते पहनें
  • चूहों पर नियंत्रण रखें क्योंकि वे कीटों के वाहक होते हैं
  • हमेशा जूते पहनें
  • चूहों पर नियंत्रण रखें क्योंकि वे कीटों के वाहक होते हैं
  • हाथ-पैर अच्छी तरह धोएं

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