scriptRajasthan Rte: बच्चों के साथ मजाक! कोर्स 3 हजार का, सरकार दे रही 202 रुपए, जानें सच्चाई | RTE is a joke on children! Course is for 3 thousand rupees, government is giving 202 rupees, know the truth | Patrika News
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Rajasthan Rte: बच्चों के साथ मजाक! कोर्स 3 हजार का, सरकार दे रही 202 रुपए, जानें सच्चाई

आरटीई के तहत निजी स्कूल में पढ़ रहे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को सरकार पाठ्यपुस्तक की पुनर्भरण राशि महज 202 रुपए दे रही है, जबकि निजी स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक का कोर्स पांच सौ से तीन हजार रुपए तक का है।

सीकरAug 08, 2025 / 01:18 pm

anand yadav

Rajasthan Rte Act: इसे विडंबना कहें या मजाक। आरटीई के तहत निजी स्कूल में पढ़ रहे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को सरकार पाठ्यपुस्तक की पुनर्भरण राशि महज 202 रुपए दे रही है, जबकि निजी स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक का कोर्स पांच सौ से तीन हजार रुपए तक का है। ये सरकारी मजाक बच्चों पर इस साल ज्यादा भारी पड़ रहा है, क्योंकि ये राशि सरकार ने स्कूलों की बजाय अब सीधे बच्चों के बैंक खाते में डालना तय किया है।
ऐसे में अपने स्तर पर कोर्स उपलब्ध करवाने वाले निजी स्कूल बच्चों से कोर्स की पूरी राशि मांगने लगे हैं, तो बाजार में उपलब्ध कोर्स भी पुनर्भरण राशि से 15 गुना तक महंगा पड़ रहा है। लिहाजा बच्चों की निशुल्क पढ़ाई के सामने पाठ्यपुस्तकों का नया संकट गहरा गया है।

सरकारी कोर्स ही महंगा

चौंकाने वाली बात यह भी है कि निजी स्कूलों में पढ़ाई के लिए पुस्तकों की जो राशि सरकार दे रही है, वह सरकार के खुद के कोर्स से भी कम है। मसलन, हिंदी माध्यम के पांचवी बोर्ड के कोर्स का बाजार मूल्य 236 और आठवीं बोर्ड का 558 रुपए है।
आरटीई के तहत नि:शुल्क शिक्षा, पत्रिका फोटो

बच्चों को राशि देने से ज्यादा दुविधा

आरटीई में प्रवेशित बच्चों की पाठ्य पुस्तकों की पुनर्भरण राशि अब तक सरकार फीस पुनर्भरण राशि के साथ स्कूलों के बैंक खाते में ही भेजती रही है। ऐसे में निजी स्कूल अमूमन बच्चों को उसी राशि में कोर्स उपलब्ध करवा रहे थे, लेकिन इस बार पाठ्यपुस्तकों के 202 रुपए विद्यार्थियों के खाते में भेजने के सरकारी फैसले के बाद कई निजी स्कूल उस राशि में पुस्तकें उपलब्ध करवाने में आनाकानी कर रहे हैं। बाजार से कोर्स लेने पर भी वह महंगा मिल रहा है। इससे अभिभावकों की दुविधा बढ़ गई है।
निजी स्कूलों का कोर्स महंगा, गरीब बच्चे परेशान, पत्रिका फोटो

ये सामने आई शिकायतें

केस- 1: सीकर शहर निवासी मनीष ठठेरा का पुत्र राघव आरटीई एक्ट के तहत निजी स्कूल की चौथी कक्षा में पढ़ रहा है। पिछले साल तक तो स्कूल ने राघव को पुस्तकें निशुल्क उपलब्ध करवा दी, लेकिन इस साल पुनर्भरण राशि उसके खाते में आने की बात कह वे कोर्स के दो हजार रुपए मांग रहे हैं।
केस- 2: झुंझुनूं निवासी राजेश कुमार का बेटा भी आरटीई एक्ट के तहत निजी स्कूल में पढ़ रहा है। स्कूल संचालक ने पुस्तकों के लिए 2400 रुपए की मांग की है।

विभाग को मिली दो शिकायतें

विभाग को इस संबंध में दो शिकायतें मिली थी। मामले में स्कूल संचालक को फोन कर सरकार की तय पुर्नभरण राशि 202 रुपए में ही पुस्तक उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए गए। आगे भी कोई शिकायत मिली तो उस पर कार्रवाई करेंगे।
घीसाराम भूरिया, एडीईओ (प्रा.), सीकर

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