इस तरह मिलेगा लाभ किसान को फसल बीमा करवाने से पहले से अपनी गिरदावरी को संबंधित बैंक में जमा करवाना होगा। जिसके आधार पर बैंक ऋणी किसानों का प्रीमियम अनिवार्य रूप से प्रीमियम काटकर बीमा कंपनी को भेजेगी। जो ऋणी किसान फसल बीमा योजना से अलग रहना चाहता है तो उस किसान को संबंधित बैंक शाखा में लिखित में ऑप्ट आउट का घोषणा पत्र देना होगा। बीमा की प्रक्रिया एक जुलाई से शुरू की जाएगी। गौरतलब है कि सीकर जिले में औसतन पचास हजार से ज्यादा किसान सीधे तौर पर केवल सब्जियों के उत्पादन कार्य से जुड़े हुए हैं। जिले के लिए एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी ऑफ इंडिया लिमिटेड को अधिकृत किया गया है।
आठ सब्जी दायरे में पुर्नगठित मौसम आधारित फसल बीमा के लिए सीकर जिले में रबी और खरीफ सीजन के दौरान होने वाली आठ प्रकार की सब्जियों को अधिकृत किया गया है। इनमें हरी मिर्च, टिंडा, टमाटर, फूलगोभी, प्याज, मटर, तरबूज, सर्दी के सीजन का टमाटर शामिल है। इन सब्जियों का बीमा करवाने पर किसान को सरकार की ओर से प्रीमियम में अनुदान दिया जाएगा। किसान सभी सब्जियों का बीमा महज पांच प्रतिशत प्रीमियम की राशि देकर करवा सकेंगे। अनुदान की राशि का भुगतान केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से बीमा कंपनी को किया जाएगा।
फसल मुआवजा प्रति हेक्टेयर हरी मिर्च-118400 टिंडा-102000 टमाटर-129331 फूलगोभी-100313 प्याज-180649 मटर-100566 टमाटर-129331 तरबूज-157500 किसानों को फायदा है प्राकृतिक आपदा से बचाने के लिए किसान अपनी सब्जियों को भी बीमा के दायरे में ले सकेंगे। इससे किसान को होने वाले आर्थिक व मानसिक नुकसान की काफी हद तक भरपाई हो सकेगी। बीमा की प्रक्रिया एक जुलाई से शुरू हो जाएगी।
नितेश गढ़वाल, जिला प्रबंधक, एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड