इससे यह साबित होता है कि राजनीतिक दबाव, कानून में चूक या सियासी उलटफेर का सबसे ज्यादा असर इस पद पर पड़ रहा है। सीकर जिले में दो पुलिस अधीक्षक तो ऐसे रहे जिनका कार्यकाल जिले में कुछ ही दिनों का रहा। चांद बिहारीलाल अगस्त 1946 से 10 जनवरी 1948 तक सीकर के पहले एसपी रहे थे। वर्तमान में सीकर में प्रवीण नायक नूनावत पुलिस अधीक्षक के पद पर कार्यरत हैं।
गौरव यादव का छह दिन रहा कार्यकाल
जिले में दो एसपी एक सप्ताह भी नहीं टिक पाए। गौरव यादव को 23 जुलाई 2018 को एसपी लगाया और छह दिन बाद 28 जुलाई को उनका तबादला झुंझुनूं कर दिया गया था। पुलिस अधीक्षक राममूर्ति जोशी ने 19 फरवरी 2024 को ज्वाइन किया और पांच दिन बाद 23 फरवरी को ही उनका तबादला कर दिया गया। इससे पहले 1986 में आरएन गौड़ सिर्फ 35 दिन के लिए एसपी रहे थे।
20 एसपी डेढ़ से आठ माह तक ही रहे
सीकर में आधा दर्जन से अधिक पुलिस अधीक्षकों का कार्यकाल तीन से सात महीने तक का रहा है। ऐसे में जो भी पुलिस अधीक्षक जिले की कार्य प्रणाली को समझते हैं और अपराधियों पर कार्रवाई करने की तैयारी करते हैं तो इतने में उनका तबादला कर दिया गया। एसपी फूलसिंह चार माह, जगदीशप्रसाद शर्मा पांच माह, एलएस दशौरा आठ माह, डीआर पुरी डेढ़ महीने, बलवंतसिंह पौने पांच माह, वीपी भटनागर पौने चार माह, बीएल जोशी सात माह, पीएन रैना साढ़े छह माह, एएस गिल साढ़े सात माह, नवदीपसिंह पांच माह, उत्कल रंजन शाहू आठ माह, हरीराम मीणा साढ़े चार माह, विकास कुमार सात माह नौ दिन, डॉ. गिर्राज मीणा साढ़े पांच माह, सत्यवीरसिंह करीब पौने छह माह, डॉ. रवि आठ माह, प्रदीप मोहन शर्मा साढ़े पांच माह, डॉ. अमनदीपसिंह कपूर छह माह, करण शर्मा छह माह, परिस देशमुख छह माह आदि का कार्यकाल डेढ़ महीने से लेकर आठ माह तक रहा है।
बीएल जोशी राज्यपाल, शाहू बने थे डीजीपी
सीकर में तत्कालीन समय एसपी रहे बीएल जोशी राज्यपाल भी रहे थे। वे 2009-2014 तक उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रहे थे। इससे पहले वे 2004-2007 तक दिल्ली के उप राज्यपाल, मेघालय एवं उत्तराखंड में राज्यपाल रहे। आईपीएस ए.एस. गिल व उत्कल रंजन शाहू राजस्थान के महानिदेशक के पद तक पहुंचे। इसी तरह सीकर जिले के कोछोर गांव निवासी आईपीएस अमरसिंह शेखावत भी प्रदेश के पुलिस महकमे के सर्वोच्च पद तक पहुंचे है। वहीं जिले के कासली गांव के अजीतसिंह शेखावत भी एडीजी रहे हैं।
इनके नवाचार की रही प्रदेशभर में चर्चा
विकास कुमार ने कोबरा टीम की शुरूआत की थी। उनके इस कार्य को तत्कालीन मुख्यमंत्री ने सराहा था और फिर पूरे प्रदेश में लागू किया गया। हर जिले में कोबरा टीमों का गठन कर इनकी वर्दी भी अलग से निर्धारित की गई थी। इसी तरह कुंवर राष्ट्रदीप ने पुलिस अधिकारियों व जवानों के जन्मदिन पर अवकाश देने की परंपरा शुरू की। एसपी की ओर से शुभकामना लिखा पत्र भेजा जाता था। उन्होंने पुलिस जवानों के लिए कंप्यूटर लाइब्रेरी बनवाई थी। पुलिस जवानों के लिए पुलिस लाइन में योगा भवन बनवाया था। पुलिस लाइन में ओपन जिम व अन्वेशन भवन व रेस्ट हाउस का निर्माण भी करवाया।