यही वजह है कि पिछले दिनों श्योपुर आए प्रभारी मंत्री राकेश शुक्ला भी समीक्षा बैठक में वन विभाग के अधिकारियों को इसकी प्रक्रिया गंभीरता से पूरी कराने के निर्देश दे गए हैं। उल्लेखनीय है कि जिले में नेशनल हाइवे के 155 किमी में पाली श्योपुर-गोरस के भाग में 60 फीसदी काम हो गया है, जबकि गोरस-श्यामपुर के भाग में प्रारंभिक काम शुरु हो गया है।
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यूं तो श्यामपुर से सबलगढ़ तक फुल 55 किलोमीटर के हाइवे निर्माण होना है, लेकिन इसमें किलोमीटर का हिस्सा वाइल्डलाइफ कॉरिडोर का आ रहा है। जिसमें श्योपुर कूनो नेशनल पार्क और राजस्थान के कैलादेवी अभयायरण्य के बीच का ये हिस्सा वाइल्डलाइफ कॉरिडोर के रूप में संरक्षित है, यही वजह है कि हाइवे निर्माण के लिए एनओसी की जरुरत है। बताया गया है कि श्यामपुर-सबलगढ़ हाइवे में नए एलाइनमेंट के अनुसार वीरपुर कस्बे के बाहर से हाइवे निर्माण होगा। वहीं वीरपुर के आगे जाकर ब्रॉडगेज रेल लाइन के ऊपर से ओवरब्रिज भी बनाया जाएगा।
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नेशनल हाइवे 552 (एक्सटेंशन) पाली-श्योपुर-गोरस-श्यामपुर-सबलगढ़ का 3 भाग में काम हो रहा है। इसी के तहत ये तीसरा भाग श्यामपुर से सबलगढ़ का है। 55 किलोमीटर के इस भाग के लिए गत वर्ष सितंबर माह में ही टेंडर हो चुके हैं, जिसमें इसके निर्माण की लागत 495 करोड़ रुपए है। लेकिन टेंडर होने के 8 महीने बाद भी काम शुरु होना तो दूर अभी तक संबंधित कंस्ट्रक्शन कंपनी के साथ एग्रीमेंट भी नहीं हुआ है। यही वजह है कि फिलहाल सड़क निर्माण अधर में लटका है।
इस मामले में एनएच-पीडब्ल्यूडी श्योपुर के सब इंजीनियर विजय अवस्थी ने बताया कि ‘एनएच के तहत श्यामपुर-सबलगढ़ के निर्माण के लिए टेंडर तो पिछले साल हो गए थे, लेकिन इसके बीच वाइल्डलाइफ कॉरिडोर का हिस्सा आ रहा है, जिसकी एनओसी के लिए हमने आवेदन किया हुआ है। एनओसी मिलते ही इसका काम शुरू हो जाएगा।’