शनिवार को कुबेरेश्वर धाम की विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी मनोज दीक्षित ने जो बयान दिया कि धाम में अभी मंदिर बन रहा है। बाबा भोले की प्राण प्रतिष्ठा नहीं हुई है। केदारनाथ की नदी से लाई गई शिला की पूजा होती है। इस बयान से मठ-मंदिरों के पुजारी, महामंडलेश्वर नाराज हैं। उन्होंने पं. मिश्रा पर श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ करने के आरोप लगाए हैं। सनातन प्रेमियों का कहना है कि इसे रोका जाए।
शिला पूजने से फल नहीं
यशोधानवंन जगतगुरु अजय पुरोहित ने बताया, तुलसीदास ने रामचरित मानस में लिखा, ‘लिंग थापि विधिवत कर पूजा, शिव समान पिय मोय ना दूजा’। श्रीराम ने रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापना कर पूजा की। सीहोर में बिना प्राण-प्रतिष्ठा शिला का अभिषेक करने से लोगों को पूजा का फल नहीं मिलने वाला। (mp news)
यह प्रतिष्ठित पूजा नहीं
श्रीराधेश्याम मंदिर गल्ला मंडली के महंत माधव दास त्यागी ने कहा, हर पत्थर पूजनीय नहीं होता। पत्थर तराश कर भगवान की मूर्ति बनाते हैं। जब प्राण-प्रतिष्ठा होती है, तब पूजा करते हैं। कुबेरेश्वर धाम में हो रही पूजा प्रतिष्ठित पूजा नहीं है। (mp news)