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सवाई माधोपुर

Rajasthan: बाघ के हमले में बुजुर्ग की मौत, किरोड़ीलाल मीणा ने की मध्यस्थता, आखिरकार 32 घंटे बाद बनी सहमति

Tiger Attack: रणथम्भौर दुर्ग में जैन मंदिर पर कार्यरत चौकीदार की हुई थी मौत, सोमवार सुबह 8 बजे से शुरू हो गया था धरना

सवाई माधोपुरJun 10, 2025 / 09:04 pm

Rakesh Mishra

tiger attack in sawai madhopur

धरने में पहुंचे डॉ. किरोड़ीलाल ग्रामीणों की मांग सुनते हुए। (फोटो- पत्रिका)

राजस्थान के सवाईमाधोपुर के रणथम्भौर दुर्ग स्थित जैन मंदिर में चौकीदारी राधेश्याम सैनी की बाघ के हमले में मौत से गुस्साए ग्रामीणों का 32 घंटे से जारी धरना स्थानीय विधायक एवं कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा की मध्यस्थता के बाद मंगलवार शाम चार बजे समाप्त हो गया। इस दौरान हमले में मृत राधेश्याम के परिजनों को 25 लाख रुपए देने व उनके एक परिजन को संविदा पर नेचर गाइड की नौकरी दिलवाए पर सहमति बनी।
इसके साथ ही रणथम्भौर में चल रही अनियमितताओं सहित अन्य मांगों पर सर्वसमाज की कमेटी के माध्यम से वनमंत्री तक जयपुर पहुंच समस्या रखने का मसौदा तैयार किया गया। रणथंभौर दुर्ग स्थित जैन मंदिर में चौकीदार राधेश्याम सैनी पर सोमवार सुबह 4:30 बजे टाइगर ने हमला कर दिया था। हमले में उनकी मौत हो गई थी। वनविभाग की ओर से ड्रोन के माध्यम से सर्च अभियान चलाने पर उनका क्षत-विक्षत शव मंदिर से करीब 20 से 30 मीटर की दूरी पर मिला था।

किरोड़ीलाल धरना स्थल पहुंचे

घटना से गुस्साए ग्रामीण सोमवार सुबह 8 बजे से ही गणेश धाम के सामने टेंट लगाकर धरना दिए बैठे थे। इस दौरान प्रशासन और पुलिस ने समझाइश की, लेकिन मांगों पर सहमति नहीं बनी। इसके बाद मंगलवार शाम को करीब 4 बजे कृषि मंत्री व स्थानीय विधायक डॉ. किरोड़ीलाल धरना स्थल पहुंचे। उन्होंने परिजनों सहित ग्रामीणों की मांगों पर मध्यस्थता की और धरना समाप्त कराया। इसके बाद डॉ. किरोडी ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी को निर्देशित किया कि वे मेडिकल बोर्ड से तुरंत शव का पोस्टमार्टम करवा कर शव परिजनों को सौंपे। इसके बाद शव का पोस्टमार्टम कराया गया।
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विवश दिखे डॉ. किरोड़ी, बोले-शिकायत पर नहीं हुई सुनवाई

बाघ के हमलों को लेकर दोषी अधिकारियों को हटाने की मांग पर डॉ. किरोड़ी भी विवश दिखे। उन्होंने कहा कि रणथम्भौर में लापरवाह वन अधिकारियों की शिकायत उन्होंने पूर्व में भी की है। कहा कि यहां के वनाधिकारी नशे में चूर रहते हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। वनाधिकारियों के रवैये पर वे खुद शर्मिंदा हैं और वे आत्म अवलोकन कर रहे हैं। ऐसे अधिकारी यहां नियमों को ताक पर रखकर जमे बैठे हैं, लेकिन उनकी शिकायत पर भी यहां कोई कार्रवाई नहीं हुई।

इन मांगों पर बनी सहमति

  • * मृतक के किसी एक योग्य परिजन को “नेचर गार्ड” पद पर नियुक्ति प्रदान करने।
  • * परिवार की आर्थिक सहायता के लिए विधायक स्तर पर 20 लाख की सहायता एवं वनविभाग की ओर से 5 लाख की आर्थिक सहायता दिलवाने।
  • * मृतक के परिवार को सरकारी योजनाओं के अंतर्गत समस्त संभव लाभ प्रदान करवाने।
  • * दुर्घटना के उत्तरदायी अधिकारियों के विरुद्ध उचित विधिक कार्यवाही के लिए ग्रामीणों की 20 सदस्य कमेटी का गठन कर जयपुर में मुख्यमंत्री और केंद्रीय वन मंत्री से मिलकर उनका समाधान करवाने का आश्वासन दिया।
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