कंजर्वेशन रिजर्व बनने के बाद वन विभाग वन्यजीवों के लिए बेहतर आवास और वन संरक्षण के लिए एक विस्तृत प्रबंधन योजना तैयार करेगा। यह योजना पर्यटन को बढ़ावा देने पर भी ध्यान केंद्रित करेगी, जिससे यह क्षेत्र भविष्य में वन्यजीव पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र बन सके। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए केंद्र सरकार से भी वित्तीय और तकनीकी सहायता मिलने की उम्मीद है।
सरभंगा पर संशय
इधर, मझगवां के सरभंगा वन क्षेत्र को कंजर्वेशन रिजर्व बनाने पर संशय बरकरार है। इस क्षेत्र में 25 से अधिक बाघों की मौजूदगी के कारण यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। सरभंगा को अयोध्या राम वन गमन पथ से जोड़कर वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की संभावना भी है। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं। मां शारदा देवी कंजर्वेशन रिजर्व का प्रस्ताव तैयार हो चुका है। इसे अगले सप्ताह स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। इस पहल से न केवल वन्यजीवों का संरक्षण होगा, बल्कि क्षेत्र में पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा। -मयंक चांदीवाल, डीएफओ
केन-बेतवा परियोजना और वन्यजीवों का पलायन
केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत पन्ना टाइगर रिजर्व का लगभग 25 फीसदी कोर क्षेत्र डूब में आने की संभावना है। इस डूब क्षेत्र के जलमग्न होने पर पन्ना टाइगर रिजर्व में निवास करने वाले वन्यजीव विशेषकर बाघ सतना जिले के वन क्षेत्रों की ओर पलायन कर सकते हैं। वन विभाग के अनुसार, ये बाघ कल्दा पठार से होते हुए परसमनिया या मझगवां के सरभंगा वन क्षेत्र में पहुंच सकते हैं। इस स्थिति को देखते हुए वन विभाग ने इन क्षेत्रों को वन्यजीवों के लिए अनुकूल बनाने और भविष्य में वाइल्ड लाइफ टूरिज्म को बढ़ावा देने की योजना बनाई है। इसके लिए परसमनिया, कल्दा पठार और रमपुरा के वन क्षेत्रों को कंजर्वेशन रिजर्व के रूप में विकसित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।