जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने वीडियो जारी कर सफाई दी
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने वीडियो जारी किया है। जिसमें उन्होंने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि आज सनातन धर्म पर चारों ओर से आक्रमण हो रहे हैं, हम सभी हिन्दुओं को बिल्कुल पारस्परिक भेद छोड़कर इकट्ठा होने की आवश्यकता है। हमने साढ़े 500 वर्ष की लड़ाई जीती, श्रीराम मंदिर हमें मिल गया और अब श्री कृष्ण भूमि और काशी विश्वनाथ भी हमें मिलेगा। रही बात प्रेमानंद की तो मैंने प्रेमानंद जी के लिए कोई भी अभद्र टिप्पणी नहीं की। ‘वे मेरी दृष्टि में बालक… पुत्रवत हैं।’प्रेमानंद के लिए मैंने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की है- रामभद्राचार्य
रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि एक आचार्य होने के नाते मैं सबको कहता हूं कि संस्कृत का अध्ययन करना चाहिए। जो सामान्य लोग चोला पहनकर वक्तव्य दे रहे हैं जिन्हें एक अक्षर आता-जाता नहीं। और मैं सबको कह रहा हूं प्रत्येक हिंदू को संस्कृत पढ़ना चाहिए। कहता ही नहीं आज भी मैं स्वयं पढ़ता हूं, 18-18 घंटे पढ़ता हूं, और पढ़ता रहूंगा। इसमें प्रेमानंद के लिए मैंने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की है।‘चमत्कार को मैं नमस्कार नहीं करता…’
आगे उन्होंने कहा कि हां, चमत्कार को मैं नमस्कार नहीं करता, यह सत्य है। ये तो मैंने अपने शिष्य धीरेन्द्र शास्त्री को भी कहा है कि बेटा पढ़ो-लिखो। सब लोग पढ़ो क्योंकि भारत की दो प्रतिष्ठाएं हैं- संस्कृत और संस्कृति। भारतीय संस्कृति को जानने के लिए संस्कृत पढ़ना नितांत आवश्यक है। ये जो मेरे लिए भ्रम फैलाया जा रहा है गलत है, मैंने प्रेमानंद या किसी संत के लिए कोई भी गलत टिप्पणी नहीं की है और न करूंगा। जब भी प्रेमानंद जी मुझसे मिलने आएंगे, मैं निश्चित आशीर्वाद दूंगा, उनको हृदय से लगाऊंगा, उनके स्वास्थ्य के लिए मैं भगवान श्री राम से प्रार्थना भी करता हूं और निरंतर उनकी दीर्घायु की कामना करता रहूंगा।दरअसल, एक इंटरव्यू में जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने कहा था कि अगर प्रेमानंद महाराज में चमत्कार है, तो वे उनके सामने एक अक्षर संस्कृत का बोलकर दिखाएं। मेरे द्वारा कहे गए किसी भी श्लोक का अर्थ समझाएं। उनकी लोकप्रियता क्षणभंगुर है। वो तो मेरे बालक के समान हैं। शास्त्र का ज्ञान जिसे हो, वही चमत्कार है।