विशेषज्ञों के अनुसार इनमें कुछ रोग ऐसे हैं जिनमें मरीज उन्मादी भी हो सकता है, इसलिए इन पर विशेष निगरानी की आवश्यकता है। मानसिक रोग विभागाध्यक्ष डॉ. धीरेन्द्र मिश्रा ने बताया कि इन बीमारियों का इलाज संभव है। उन्होंने बताया कि कुछ रोगों के कारण अनुवांशिक होते हैं, जबकि कई रोग नशे की लत से उत्पन्न होते हैं।
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इस बीमारी के 6 मरीज जेल में पाए गए हैं। इसमें याददाश्त में कमी की बीमारी मुय होती है। लोग चीजों को भूलने लगते हैं। इसमें न्यूरॉस की नसे ज्यादा जल्दी बूढी होने लगती है। यह अनुवांशिक भी हो सकता है इसके अलावा डायबिटीज, लकवा, ब्लड प्रेशर आदि बीमारी भी इर विकार का कारण हो सकती है। वहीं इन्सोनिया के 10 मरीज हैं। यह मुय रूप से नींद न आने की बीमारी है। मिर्गी से 3 कैदी ग्रसित हैं। डॉ मिश्रा के अनुसार इस विकास में मस्तिष्क की विद्युत गतिविधि बीच-बीच में बाधित हो जाती है।
मानसिक रोगों का इलाज संभव और आसान है। लोग इनके पहचान नहीं पाने से चिकित्सक के पास तक नहीं पहुंचते हैं। कुछ कारण तो अनुवांशिक होते हैं तो कुछ नशे के कारण। ऐसे लक्षण सामने आने पर तत्काल डाक्टर के पास जाना चाहिए। अवसाद के मामले को इग्नोर नहीं करना चाहिए। – डॉ धीरेंद्र मिश्रा, एचओडी मानसिक रोग विभाग मेडिकल कॉलेज
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बाईपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित 3 बंदी मरीज पाए गए हैं। मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. धीरेन्द्र मिश्रा के अनुसार यह बीमारी मुय रूप से अनुवांशिक होती है, लेकिन अत्यधिक नशा करने से भी इसके लक्षण उभर सकते हैं। यह बीमारी एपिसोड के रूप में सामने आती है, जिसमें कभी मरीज अत्यधिक उत्साहित और उन्मादी हो जाता है तो कभी गहरे अवसाद में चला जाता है।
उन्माद की स्थिति में मरीज खुद को बेहद शक्तिशाली, अमीर या विशेष समझने लगता है, जबकि असलियत इससे बिल्कुल अलग होती है। वहीं अवसाद की अवस्था में उसे लगता है कि वह सब कुछ खो चुका है। यह मूल रूप से मानसिक असंतुलन की बीमारी है। उन्माद के दौरान मरीज ऐसे निर्णय ले सकता है जो अवास्तविक और खतरनाक हो सकते हैं।
डिप्रेशन या अवसाद
जेल में 10 लोगों को डिप्रेशन की बीमारी पाई गई है। इसके रोगी में लगातार उदासी की भावना होती है। इसके अलावा उन चीजों और गतिविधियों में रुचि की कमी का कारण बनता है जिन्हें आप पहले पसंद करते थे। अगर इसका उपचार न किया जाए तो स्थिति और बदतर हो सकती है। इसके लक्षण बहुत अधिक निराश रहना, उनमें आनंद न लेना जो पहले खुशी देते थे, आसानी से चिद्र जाना, नींद ना आना आदि है। सिरदर्द, पेट दर्द या यौन रोग भी हो सकता है। यह भी पढ़े –
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सीजोफ्रेनिया के 7 मरीज पाए गए हैं। डॉ मिश्रा के अनुसार यह बीमार सोच की है। इसमें व्यक्ति के सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने के तरीके में विकृति आ जाती है। ज्यादातर मरीज इसमें शंकालु प्रवृत्ति के हो जाते हैं। इस वजह से मरीज में आक्रामकता, डर, नींद की कमी, ध्यान नहीं लगना, भाषा में विकृति आ सकती है। कई बार मरीज घोर अव्यवस्थित व्यवहार कर सकता है।
मेनिया (उन्माद)
इस बीमारी के 7 मरीज पाए गए हैं। डॉ मिश्रा के अनुसार इसके पीड़ित मरीज अत्यधिक सक्रियता या मनोदशा के व्यवहार प्रदर्शित करते हैं। इसके लक्षणों में अजेयता की भावना, नींद की कमी, विचारों की दौड़, तेजी से बात करना और गलत धारणाएं शामिल हैं।
ओसीडी (अनियंत्रित जुनूनी विकार)
जेल में इस बीमारी से पीड़ित 3 मरीज पाए गए हैं। यह चिंता की बीमारी है। इसमें एक ही विचार व्यक्ति को बार बार परेशान करता है। इसकी वजह से मरीज एक ही व्यवहार बार बार दोहराता है। डॉ मिश्रा ने बताया कि इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को दूसरों की हुई वस्तुओं के दूषित होने का भय हो सकता है।
मूड डिसऑर्डर (मनोदशा विकास)
इस बीमारी के 8 मरीज पाए गए हैं। डॉ धीरेन्द्र मिश्रा के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य स्थिति मुय रूप से भावनात्मक स्थिति को प्रभावित करती है जो लगातार और तीव उदासी, उत्साह और क्रोध का कारण बनते हैं। यह कई बीमारियों का बंच हो इसमें अवसाद, बाईपोलर डिसआर्डर बीमारियां भी शामिल होती है।