अधिकारों को बुलडोजर तले रौंदा जा रहा
सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने कहा कि बुलडोजर कार्रवाई जनता के मौलिक अधिकारों को रौंदने का काम कर रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश की ताकत तीन संवैधानिक स्तंभों- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में बांटी गई है, लेकिन आज ऐसा लगता है मानो एक ही ताकत सबकुछ अपने हाथ में ले चुकी हो।
सजा देने का अधिकार सिर्फ न्यायपालिका का
सपा सांसद ने साफ कहा कि न पुलिस को, न प्रशासन को और न ही सरकार को किसी को सजा देने का अधिकार है। सजा देने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ न्यायपालिका को है। उन्होंने कहा कि चाहे छोटी अदालत हो या सर्वोच्च न्यायालय, हम सबका सम्मान करते हैं और उन्हीं पर भरोसा भी रखते हैं। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि सर्वोच्च न्यायालय के बुलडोजर कार्रवाई रोकने के आदेश को भी लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है।
जुर्माने और कानूनी लड़ाई पर बर्क का जवाब
मकान निर्माण और उस पर लगाए गए जुर्माने के सवाल पर सांसद ने कहा कि उन्होंने न्यायपालिका पर भरोसा जताते हुए कानूनी प्रक्रिया का पालन किया है। जुर्माना भरने के बाद अब अधिवक्ताओं से राय ली जा रही है और आगे कानूनी कदम भी उठाए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें और उनके नागरिकों को कई मामलों में पहले भी इंसाफ मिला है और भविष्य में भी मिलेगा।
वोट के अधिकार पर हमला
सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने कहा कि अगर देश में लोगों का वोट का अधिकार ही छिन लिया जाएगा तो फिर लोकतंत्र और राजशाही में कोई फर्क नहीं रह जाएगा। उन्होंने बिहार का जिक्र करते हुए कहा कि यदि 65 लाख वोट काट दिए जाते हैं, तो चुनाव की निष्पक्षता ही खत्म हो जाएगी।
संविधान और जनता का अधिकार सुरक्षित रहना चाहिए
बर्क ने जोर देकर कहा कि भारत का लोकतंत्र तभी तक मजबूत रहेगा, जब तक जनता को अपने मत का इस्तेमाल करने का पूरा अधिकार रहेगा। उन्होंने कहा कि पार्टी की अनुशासनहीनता के मामलों में हर दल की तरह समाजवादी पार्टी भी कार्रवाई करती है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या जनता का लोकतांत्रिक अधिकार सुरक्षित रहेगा या नहीं।