बता दें कि गुरुवार को चंदौसी सिविल सीनियर डिवीजन कोर्ट में शाही जामा मस्जिद बनाम श्रीहरिहर मंदिर विवाद की सुनवाई हुई। न्यायाधीश आदित्य कुमार सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अगली सुनवाई की तारीख 28 अगस्त निर्धारित की।
मस्जिद कमेटी ने दिया सुप्रीम कोर्ट का हवाला
मस्जिद कमेटी की ओर से अधिवक्ता शकील अहमद वारसी ने अदालत में सुप्रीम कोर्ट का आदेश पेश किया। उन्होंने दलील दी कि “अश्वनी कुमार बनाम भारत संघ” केस में सर्वोच्च न्यायालय ने वरशिप एक्ट से जुड़े मामलों पर रोक लगा दी है। ऐसे में यह विवाद स्थानीय अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
हिंदू पक्ष ने जताई आपत्ति
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता श्रीगोपाल शर्मा ने अदालत में नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि विपक्षी संख्या-6 को अपना WS और ऑर्डर 12 रूल 5 की एप्लिकेशन दाखिल करनी थी, जिस पर हमें ऑब्जेक्शन देना था। लेकिन मस्जिद कमेटी ने ऐसा न करके नया प्रार्थना पत्र दाखिल कर दिया है। इस वजह से सुनवाई अब 28 अगस्त तक टल गई है।
नवंबर 2024 में भड़की थी हिंसा
यह विवाद तब सुर्खियों में आया जब 19 नवंबर 2024 को हिंदू पक्ष ने दावा किया कि शाही जामा मस्जिद वास्तव में श्रीहरिहर मंदिर है। उसी दिन शाम को मस्जिद का पहला सर्वे हुआ और 24 नवंबर को दूसरा चरण। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मस्जिद परिसर के बाहर जमा हो गए और देखते ही देखते पथराव व फायरिंग शुरू हो गई।
चार मौतें, कई वाहन जले
इस बवाल में चार लोगों की मौत हुई और कई वाहन आग के हवाले कर दिए गए। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए तीन हत्यारोपियों, तीन महिलाओं और इंतजामिया मस्जिद के सदर जफर अली एडवोकेट समेत कुल 96 आरोपियों को जेल भेज दिया। इसके बाद से इलाके में तनाव बरकरार है और पुलिस लगातार चौकसी बरत रही है।