हिंदू आबादी में 70 साल में भारी गिरावट
रिपोर्ट के मुताबिक आज़ादी के समय 1947 में संभल की कुल आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी करीब 45% थी। लेकिन समय के साथ लगातार हुए दंगों, पलायन और दबाव के कारण यह घटकर केवल 15% रह गई है। आयोग ने बताया कि वर्ष 1978 के बाद से यह गिरावट तेज़ी से हुई और आज हालात बेहद चिंताजनक स्तर तक पहुंच गए हैं।
जामा मस्जिद सर्वे बना हिंसा की चिंगारी
रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि 19 नवंबर 2024 को कोर्ट के आदेश पर जामा मस्जिद का सर्वे कराया गया। जब 24 नवंबर को टीम दोबारा मस्जिद पहुंची तो वहां भारी संख्या में लोग जमा हो गए। देखते ही देखते तनाव बढ़ा और हिंसा भड़क उठी। इसमें पत्थरबाज़ी और गोलीबारी हुई, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई।
धर्मांतरण और संपत्ति कब्जे के आरोप
आयोग ने हिंसा और हालात को लेकर 200 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए। इनमें कई गवाहों ने दावा किया कि हिंदुओं को डर और धमकी देकर जबरन धर्मांतरण कराया गया। कुछ ने कहा कि उनकी ज़मीन और मकानों पर कब्ज़ा कर लिया गया। कई लोगों ने गवाही दी कि डर के माहौल में उन्हें या तो धर्म बदलना पड़ा या अपने घर-गाँव छोड़ने पड़े।
मंदिरों और परंपरागत स्थलों पर विवाद
गवाहों के अनुसार, पहले संभल में शिव मंदिर और हिंदू धर्म से जुड़े धार्मिक स्थल मौजूद थे। लेकिन वक्त के साथ इनमें से कई जगहों पर कब्जा कर लिया गया। कुछ का आरोप है कि मंदिर की जगह मस्जिद बनाई गई और हिंदुओं का परंपरागत कुआं बंद कर वहां चबूतरा बना दिया गया।
सुरक्षा को लेकर स्थानीय लोगों की मांग
रिपोर्ट में दर्ज बयान बताते हैं कि स्थानीय हिंदू समुदाय गहरे डर में जी रहा है। संजय कुमार गुप्ता नामक नागरिक ने आयोग के सामने कहा कि हालात इतने गंभीर हैं कि यहां सेना की तैनाती जरूरी है। वहीं, श्रीओम चंद्रा ने चेतावनी दी कि अगर हालात ऐसे ही बने रहे तो आने वाले वर्षों में हिंदुओं की संख्या और घट सकती है।
सपा नेताओं और सांसद बर्क पर सवाल
जांच रिपोर्ट में सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क के बयानों पर भी सवाल उठाए गए हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने तुर्कों को भारत का असली मालिक बताते हुए अन्य समुदायों को गुलाम कहा। वहीं, सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल का नाम भी शुरू में आरोपियों की सूची में आया था, लेकिन बाद में चार्जशीट से हटा दिया गया।
भाजपा-सपा में जुबानी जंग
रिपोर्ट सामने आने के बाद भाजपा ने विपक्ष पर सीधा हमला बोला। भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि संभल में हिंदुओं का कत्लेआम हुआ और लगातार हो रहा पलायन इसकी गवाही देता है। वहीं, सपा सांसद रविदास मेहरोत्रा ने पलटवार करते हुए कहा कि पिछले 9 साल में भाजपा सरकार ने नफरत और हिंसा का माहौल खड़ा किया है।
मुस्लिम संगठन ने रिपोर्ट को नकारा
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि हिंदुओं का पलायन डर की वजह से नहीं बल्कि बेहतर शिक्षा और रोजगार की तलाश में हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है और जामा मस्जिद पहले से ही मस्जिद थी, इसे मंदिर से जोड़ना गलत है।
सरकार का आधिकारिक बयान
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने कहा कि राज्य सरकार इस रिपोर्ट का गहराई से अध्ययन करेगी और आवश्यक कदम उठाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था पूरी तरह मजबूत है और किसी भी तरह की हिंसा या अशांति फैलाने की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी।