हत्या कर दिखाते थे हादसा, फिर करते थे बीमा क्लेम
अपर पुलिस अधीक्षक (दक्षिणी) अनुकृति शर्मा ने बताया कि यह गिरोह जनवरी से पुलिस की जांच के दायरे में है। जांच में सामने आया कि गिरोह के सदस्य पहले युवाओं की पहचान करते, फिर उनकी हत्या कर उसे दुर्घटना का रूप दे देते। इसके बाद बीमा कंपनियों से करोड़ों रुपये का क्लेम वसूला जाता।
12 राज्यों में फैला है गिरोह, 17 FIR और 4 हत्या के मामले
यह संगठित गिरोह देश के 12 राज्यों में सक्रिय है। अकेले संभल, अमरोहा, बदायूं और मुरादाबाद में अब तक 17 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें से 4 मामले हत्याओं से जुड़े हुए हैं। इन हत्याओं को अज्ञात वाहन दुर्घटना का रूप दिया गया था।
29 फर्जी डेथ सर्टिफिकेट मिले, तारीखों में भी हेराफेरी
पुलिस जांच में अब तक 29 मृत्यु प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं। कुछ प्रमाण पत्र असली हैं लेकिन उनकी तिथियों में जानबूझकर बदलाव किया गया है। पुलिस ने बीमा कंपनियों से क्लेम से संबंधित पूरा डेटा मांगा है।
स्वास्थ्यकर्मी और बीमा एजेंट भी शामिल
इस घोटाले में आशा कार्यकर्ता, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी और बीमा एजेंटों की संलिप्तता भी सामने आई है। यह गिरोह बड़े स्तर पर काम कर रहा था और इसमें कई स्तरों पर मिलीभगत थी।
भाई ने दिव्यांग को मारा हथौड़े से, बनाया एक्सीडेंट
इस घोटाले का सबसे सनसनीखेज मामला तब सामने आया जब एक व्यक्ति ने बीमा की रकम के लालच में अपने ही दिव्यांग भाई की सिर पर हथौड़ा मारकर हत्या कर दी और फिर उसे सड़क हादसा दिखा दिया। ईडी ने मांगी केस की फाइल, पुलिस ने दी रिपोर्ट
घोटाले की गंभीरता को देखते हुए अब प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में दखल दिया है। ईडी ने संभल पुलिस से सभी एफआईआर की कॉपी और जांच रिपोर्ट मांगी थी, जिसे पुलिस ने उपलब्ध करा दिया है। अब ईडी इस मामले की आर्थिक पहलुओं से जांच करेगी।