पं. शिव प्रसाद तिवारी ने बताया कि हरछठ पूजा में पसाई धान के चावल, हरे पत्तों की दोना, व मका, चना, फूला गेहूं, मुरी, महुआ, आदि त्र का उपयोग किया जाता है। हरछठ पूजा न का विशेष ही महत्व है। वंश वृध्दि के लिहाज से बांस के बने दी हुए दोना भी पूजा अर्चना में लिए जाते हैं। इस दिन कलश दीपक का पूजन करें। हो सके तो ब्राह्मण को बुलाकर व्रत कथा एवं शास्त्रों की कथा सुननी चाहिए। इसके बाद होम एवं आरती, प्रसाद वितरण करके व्रत का पारायण करना चाहिए।
कांस पर फूल आए तो बारिश पूरी, नहीं आए तो अभी बरसेंगे
पलाश के पत्तों, कांस का पौधा और बेरी के वृक्ष की टहनी की छाया करके भगवान शिव सहित पार्वती जी का पूजन महिलाएं करती हैं। पंडित तिवारी ने बताया, ऐसा माना जाता है कि कांस के पेड़ में फूल अगर आ जाएं तो समझो बारिश पूर्ण हो जाती है और अगर कांस के पेड़ में फूल नहीं आए तो अभी बारिश बाकी है।