रिश्तेदारों से लेना पड़ रहा उधार
सागर के ग्राम पंचायत सीहोरा के हितग्राही बलराम रैकवार अपने परिवार सहित किराए के मकान में रहने लगे हैं और कच्चे घर को गिराकर करीब 270 वर्गफीट में पक्का मकान बनाने का काम शुरू किया है। 15 हजार और 40 हजार रुपए की दो किस्त आई हैं। बजट बिगड़ने पर रिश्तेदारों से रुपए उधार लेकर वह मकान की सिर्फ दीवारें खड़ी कर पाए हैं और तीसरी किस्त आने का इंतजार कर रहे हैं। यही हाल लगभग सभी हितग्राहियों का है और पक्का मकान बनाने में कर्जदार हो रहे हैं। जो स्वयं लागत नहीं लगा पाते हैं, उनका मकान अधूरा रह जाता है और मजदूरी के 15 हजार रुपए नहीं मिल पाते हैं।
सभी को एक जैसी राशि मिलनी चाहिए
नगरीय क्षेत्र की तरह ग्रामीण क्षेत्र के हितग्राहियों को भी दाई लाख रुपए मिलना चाहिए। क्योंकि 1.35 लाख रुपए में पक्का मकान बनाना संभव नहीं है। बजट के अभाव में हितग्राहियों के आवास अधूरे रह जाते हैं।- ममता दांगी, अध्यक्ष, जनपद पंचायत, कुरवाई
नगरीय क्षेत्र में मिलते हैं ढाई लाख
पीएम आवास योजना के नगरीय क्षेत्र में हितग्राही को ढाई लाख रुपए मिलते हैं। जबकि सीमेंट, सरिया, ईंट, बजरी, गिट्टी की कीमत सहित मिस्त्री और मजदूर की मजदूरी भी बराबर लगती है। फिर भी राशि में अंतर शासन की दोहरी नीति को उजागर करता है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि शासन आवास बनाने में मदद करती है। कम, ज्यादा हम कुछ नहीं कह सकते हैं।