धई बुजुर्ग के किसान प्रतिपाल सिंह ने बताया कि उन्होंने दस एकड़ में मूंग की बोवनी की थी और दिनरात मेहनत कर फसल तैयार कर पाए, हजारों रुपए लागत लगाई है, लेकिन अब समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं हो रही है। जिस पेप्टिसाइड दवा की बात सरकार कर रही है, वह इस क्षेत्र में नहीं डाली जाती है। साथ ही यदि कीटनाशक के उपयोग से मूंग जहरीली हुई है, तो उसपर बाजार में भी प्रतिबंध लगा देना चाहिए। चना, मूसर सहित अन्य फसलों में भी कीटनाशक डाली जा रही हैं, फिर उसकी भी खरीदी नहीं होना चाहिए।
किसान श्रवण सिंह ने बताया कि मूंग में लागत ज्यादा लगने के बाद भी दाम नहीं मिल रहे हैं, इसलिए अगले वर्ष से मूंग की बोवनी नहीं करेंगे। किसानों को यह तीसरी फसल का विकल्प मिला था, जिससे खरीफ फसल की बोवनी की लागत निकल आती थी।