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Bihar Election: आर-पार या दरार! NDA में चिराग-मांझी हुए आमने-सामने, उधर महागठबंधन में RJD की मुश्किलें बढ़ा रहे सहयोगी दल

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सूबे की राजनीति में जबरदस्त हलचल तेज हो गई है। एनडीए हो या महागठबंधन, दोनों ही खेमों में सहयोगी दलों ने अपनी-अपनी सियासी जमीन मजबूत करने की कवायद शुरू कर दी है।

पटनाJun 11, 2025 / 01:48 pm

Shaitan Prajapat

चिराग पासवान, जीतनराम मांझी, दीपांकर भट्टाचार्य और तेजस्वी यादव (फाइल फोटो)

Bihar Election 2025: साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अभी से सियासी पार चढ़ गया है। सभी राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है। एनडीए और महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर घमासान मचा हुआ है। एनडीए में जीतनराम मांझी ने चिराग पासवान आमने-सामने है। वहीं, महागठबंधन में सहयोगी दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की मुकिश्लें बढ़ा रहे है। दोनों दलों की सहयोगी पार्टियां सीटों को लेकर अपना अपना दावा ठोक रही है। पार्टियों के बयानबाजी को देखकर ऐसा लग रहा है कि वे आर-पार के मूड में है।

चिराग की रैली से भाजपा-जेडीयू में हलचल

चिराग पासवान ने 8 जून को आरा में एक बड़ी रैली आयोजित कर एलान कर दिया कि उनकी पार्टी बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है। यह बयान सीधे तौर पर एनडीए की एकता पर सवाल खड़े करता है। चिराग के इस एलान के बाद गठबंधन में शामिल अन्य दलों के नेताओं ने उनकी मंशा पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक जीतनराम मांझी ने बिना नाम लिए चिराग पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, ‘जो मजबूत होता है, वो बोलता नहीं है।’

मांझी ने चिराग पर कसा तंज

मांझी ने चिराग की लोकप्रियता पर तंज कसते हुए कहा कि उनके काफिले में 20 गाड़ियां होती हैं, जिनमें से 10 में सिर्फ नारे लगाने वाले लोग होते हैं। उन्होंने इमामगंज उपचुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि चिराग ने उनकी बहू दीपा मांझी के प्रचार से दूरी बना ली थी, जबकि अन्य विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार करते दिखे। मांझी ने कहा कि हम लोग अनुशासित पार्टी हैं, हम हर बात का ढिंढोरा नहीं पीटते।

माले ने बढ़ाई तेजस्वी-लालू की टेंशन

महागठबंधन में भी कुछ ऐसा ही सियासी घमासान शुरू हो चुका है। भाकपा माले ने गुरुवार को एलान किया कि वे बिहार की 40 से 45 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। यह एलान उस वक्त आया है जब 12 जून को महागठबंधन की को-ऑर्डिनेशन कमेटी की अहम बैठक होनी है। भाकपा माले के इस रुख से लालू यादव और तेजस्वी यादव की रणनीति को बड़ा झटका लग सकता है।
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भाकपा माले शुरू करेगी सभाएं

माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि पार्टी 11 से 14 जून के बीच कई जगह सभाएं आयोजित करेगी और 12 से 27 जून तक “बदलें सरकार, बदलें बिहार” अभियान के तहत चार प्रमंडलों—शाहाबाद, मगध, चंपारण और तिरहुत—में यात्राएं निकाली जाएंगी। इस दौरान पार्टी कार्यकर्ता जनता के बीच जाकर मुद्दों को उठाएंगे और सरकार की नाकामियों को उजागर करेंगे।

दोनों गठबंधनों के लिए बढ़ी मुश्किलें

एनडीए और महागठबंधन दोनों ही खेमों में सहयोगी दलों की यह आक्रामकता बड़े दलों-भाजपा, जदयू और राजद-के लिए सिरदर्द बन गई है। जहां चिराग की खुली चेतावनी भाजपा-जेडीयू को झकझोर रही है, वहीं माले की दावेदारी ने राजद को असहज कर दिया है। माले का मजबूत जनाधार खासकर ग्रामीण और दलित क्षेत्रों में है, जो महागठबंधन के लिए बेहद अहम वोट बैंक माने जाते हैं।

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