रोज 50 हजार से ज्यादा वाहनों की आवाजाही
सागर से खुरई, बीना व दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़ से भोपाल की ओर जाने वाले लोगों को राहतगढ़ बस स्टैंड आरओबी से होकर गुजरना पड़ता है। इस आरओबी से प्रतिदिन करीब 50 हजार लोगों की आवाजाही रहती है, जो गलत इंजीनियरिंग के कारण हर सफर में परेशान होते हैं। सागर के इस नमूना आरओबी में सुधार कार्य हो जाए, इसके लिए तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव ने प्रयास किए थे। उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से आरओबी में भगवानगंज की ओर एक भुजा जोडने के लिए वर्ष 2012 में 20 करोड़ की राशि स्वीकृत कराई थी। इसके पहले की वह आगे कुछ कर पाते, विस चुनाव आ गए और फिर सिर्फ विधायक बन पाए।
जमीन बचाने, मनमर्जी से बनवा दिया मोड़
आरओबी को लेकर चर्चा है कि इसकी स्वीकृति कांग्रेस की सरकार में मिली थी। आरओबी निर्माण में आ रही एक स्थानीय कांग्रेस नेता की जमीन बचाने के लिए एक के बाद एक तीन बार डिजाइन बदली गई थी। नेताओं व अफसरों की मिलीभगत से ही 23 सालों से लोग रोज परेशान हो रहे हैं। स्थानीय लोगों में डर
- राहुल सबनानी ने बताया कि सिंधी कैप के सामने आए दिन वाहनों के मुड़ने के दौरान विवाद की स्थिति बनती है। यहां पर सबसे ज्यादा खराब स्थिति बड़े वाहनों के दौरान देखने को मिलती
- जय परिहार ने बताया कि आरओबी के राहतगढ़ बस स्टैंड वाले छोर पर सबसे ज्यादा दो पहिया वाहन फिसलते हैं। बीते दो महीने में मैं करीब 25 लोगों को फिसलने के बाद उठा चुका हूँ।
ये हैं तीन खामियां
1- हवा में 90 डिग्री का मोड़ है, जैसा भोपाल के आरओबी में होने पर कार्रवाई की गई है।
2- राहतगढ़ बस स्टैंड की ओर से आरओबी पर जाने पर 100 डिग्री का अंधा मोड़ है, जिसके कारण यहां पर हर दिन एक न एक सड़क दुर्घटना होती है। 3- आरओबी के दूसरे छोर खुरई रोड से भगवानगंज की और जाने के लिए एक और 130 डिग्री का अंधा मोड़ है, जहां पर बड़े वाहनों को कई बार रिसर्व करके आगे-पीछे होना पड़ता है, तब वह भगवानगंज की और जा पाते हैं।
पूर्व मंत्री और इंजीनियर ने कहा ये
रहली विधायक और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि राहतगढ़ बस स्टैंड के आरओबी पर कैसे वाहन मुड़ते हैं, मैंने खुद कई बार देखा था। इसी वजह से इसके लिए 20 करोड़ की राशि स्वीकृत कराई थी। इसके बाद विभाग ने काम शुरू क्यों नहीं किया, पता नहीं। सुगम यातायात की दृष्टि से इसमें सुधार कार्य जरूरी है। सेतु निर्माण विभाग की इंजीनियर साधना सिंह ने बताया कि यह आरओबी एनएच के अंडर में था, जिसके कारण इसको स्वीकृति नहीं मिल पाई थी। आगे क्या हुआ, इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।