कुल देवी और कुल देवता (Kuldevi Aur Kul Devta)
कुल का अर्थ है वंश (कुटुंब) या जाति, हिंदू सभ्यता के अनुसार हर व्यक्ति किसी न किसी देवी-देवता, ऋषि-मुनि का वंशज है। कुल के यही आदि स्त्री/पुरुष कुल देवी या कुल देवता के नाम से जाने जाते हैं। इसी परंपरा से उनके गोत्र (गुरुकुल) का भी पता चलता है।ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार कुलदेवी- कुलदेवता कुल या वंश के रक्षक देवी देवता होते हैं। ये घर परिवार या वंश परंपरा के प्रथम पूज्य और मूल अधिकारी देव होते हैं। सर्वाधिक आत्मीयता के अधिकारी इन देवों की स्थिति घर के बुजुर्ग सदस्यों जैसी महत्वपूर्ण होती है। अत: इनकी उपासना या इनको महत्व दिए बगैर सारी पूजा और अन्य कार्य व्यर्थ हो सकते है।
कुल देवता या देवी हमारे वह सुरक्षा आवरण हैं जो किसी भी बाहरी बाधा, नकारात्मक ऊर्जा के परिवार में अथवा व्यक्ति पर प्रवेश से पहले सर्वप्रथम उससे संघर्ष करते हैं और उसे रोकते हैं, यह पारिवारिक संस्कारों और नैतिक आचरण के प्रति भी समय समय पर सचेत करते रहते हैं।
कुलदेवी और कुलदेवता की पूजा से व्यक्ति अपने पूर्वजों से जुड़ता है। केवल इतना ही नहीं, इससे परिवार के सदस्यों में एकता और सामंजस्य भी बढ़ता है। ये भी पढ़ेंः मैं उसे भुला नहीं पा रही हूं क्या करूं.. लड़की के सवाल पर प्रेमानंद महाराज ने बताया भोग, प्यार, वासना और व्यभिचार का अंतर
कुलदेवी और कुलदेवता का महत्व (Kuldevi Aur Kul Devta Ka Significance)
जयपुर के ज्योतिषी डॉ. अनीष व्यास के अनुसार जीवन में कुलदेवी और कुलदेवता का स्थान सर्वश्रेष्ठ है। आर्थिक उन्नति, कौटुंबिक सुख शांति और आरोग्य में कुलदेवी की कृपा का निकटतम संबंध पाया गया है। मान्यता है कि कुल देवता या कुलदेवी की पूजा से आध्यात्मिक और पारलौकिक शक्ति कुलों की रक्षा करती है। साथ ही नकारात्मक शक्तियों-ऊर्जाओं और वायव्य बाधाओं से रक्षा करती है। ताकि कुल निर्विघ्न अपने कर्म पथ पर अग्रसर रहकर उन्नति करता रहे।कुल देवी और कुल देवता का प्रभाव इतना महत्वपूर्ण होता है की यदि ये रूष्ट हो जाएं तो अन्य कोई देवी देवता दुष्प्रभाव या हानि कम नहीं कर सकता या रोक नहीं लगा सकता। इसे यूं समझें यदि घर का मुखिया पिताजी – माताजी आपसे नाराज हों तो पड़ोस के या बाहर का कोई भी आपके भले के लिए, आपके घर में प्रवेश नहीं कर सकता क्योंकि वे बाहरी होते हैं। खासकर सांसारिक लोगों को कुलदेवी देवता की उपासना इष्ट देवी देवता की तरह रोजाना करना ही चाहिए।
कई लोगों को अपने कुल देवी देवता के बारे में कुछ भी नहीं मालूम होता है। लेकिन इससे उनका अस्तित्व खत्म नहीं हो जाता। यदि मालूम नहीं है तो अपने परिवार या गोत्र के बुजुर्गों से कुलदेवता-देवी के बारे में जानकारी लें।