क्यों चुन रहे हैं लोग LAT?
LAT मैरिज का मतलब है शादी के बाद भी कपल्स का अलग-अलग घरों में रहते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है करियर ऑपर्च्युनिटी। अक्सर पति-पत्नी अलग-अलग शहरों या देशों में अपनी नौकरी या प्रोजेक्ट्स के कारण रहते हैं। इस दौरान वे अपनी शादी को खत्म करने के बजाय LAT मैरिज को अपनाते हैं। इसके पीछे पर्सनल स्पेस और इंडिपेंडेंस की जरूरत भी अहम है। लगातार साथ रहने से जो छोटे-छोटे झगड़े और तनाव पैदा होते हैं, LAT मॉडल उन्हें कम करता है। साथ ही कपल्स को अपनी ऑटोनॉमी (स्वतंत्रता) बनाए रखने का मौका भी देता है।
भारतीय समाज में बदलाव
भारत में धीरे-धीरे गैर-पारंपरिक रिश्तों को एक्सेप्ट किया जाने लगा है। आज पुरुष अपनी पत्नियों के करियर को सपोर्ट कर रहे हैं, जिससे महिलाओं को अपने सपनों और करियर को छोड़ना नहीं पड़ता। यह बदलाव जेंडर रोल्स और पारंपरिक मास्कुलिनिटी को नई दिशा दे रहा है। अब रिश्तों में साझेदारी और बराबरी की सोच विकसित हो रही है।
चुनौतियां क्या हैं?
LAT अरेंजमेंट्स पूरी तरह आसान नहीं हैं। सबसे बड़ी चुनौती है सोशल स्टिग्मा। परिवार और समाज से तरह-तरह के सवाल और दबाव झेलने पड़ते हैं। इसके अलावा, टाइम मैनेजमेंट, अलग-अलग घरों का खर्च, लगातार ट्रैवल जैसी लॉजिस्टिक परेशानियां भी आती हैं। दूरी के कारण कभी-कभी इमोशनल गैप भी महसूस होता है, खासकर तब जब बच्चे भी शामिल हों।
फायदे क्या हैं?
LAT मैरिज का सबसे बड़ा फायदा है कि यह पर्सनल फ्रीडम और इमोशनल क्लोज़नेस दोनों को बैलेंस करता है। कपल्स को रोज़मर्रा की झगड़ों और एकरूपता से राहत मिलती है। जब वे मिलते हैं तो पल और भी खास बन जाते हैं, जिससे रिश्ता ज्यादा कांशस और इंटेंशनल लगता है।
एक्सपर्ट्स की राय
यह रिश्ता ट्रस्ट और कमिटमेंट पर आधारित होता है। शहरी इलाकों में LAT अरेंजमेंट्स की डिमांड बढ़ रही है, क्योंकि यह कपल्स को करियर और हेल्दी रिलेशनशिप में संतुलन बनाने का मौका देता है।