scriptVat Savitri Vrat 2025: कब है वट सावित्री व्रत? इस दिन सात फेरे लेकर करती हैं संतान सुख की मन्नतें, जानें धार्मिक महत्व | Vat Savitri Vrat is on 26 May | Patrika News
रायपुर

Vat Savitri Vrat 2025: कब है वट सावित्री व्रत? इस दिन सात फेरे लेकर करती हैं संतान सुख की मन्नतें, जानें धार्मिक महत्व

Vat Savitri Vrat 2025: इसमें विवाहित महिलाएं अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और कथा का श्रवण करती हैं।

रायपुरMay 25, 2025 / 11:59 am

Laxmi Vishwakarma

सुहागिनों के प्रमुख व्रतों में से एक है वट सावित्री का पूजन व्रत (Photo- AI)

सुहागिनों के प्रमुख व्रतों में से एक है वट सावित्री का पूजन व्रत (Photo- AI)

Vat Savitri Vrat 2025: सुहागिनों के प्रमुख व्रतों में से एक है वट सावित्री का पूजन व्रत। यह तिथि 26 मई को पड़ रही है, जब शहर के अनेक स्थानों पर माताएं, बहनें बरगद पेड़ के नीचे पूजन करने में जुटेंगी। पौराणिक मान्यता है कि बरगद पेड़ में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। यह पूजन तिथि समाज को पीपल और बरगद के पौधे लगाने के लिए भी प्रेरित करती हैं।

Vat Savitri Vrat 2025: शरबत का वितरण किया जाएगा..

माताएं इस दिन मौली धागा बरगद पेड़ में बांधकर परिक्रमा करेंगी और भगवान से सुखमय जीवन, सदा सुहागन की कामनाएं करेंगी। जेष्ठ मास की इस तिथि पर देवांगन समाज के धर्म प्रचार समिति विभाग के प्रदेश अध्यक्ष भीखम लाल देवांगन ने बताया कि वट सावित्री का व्रत रहने वाली माता और बहनों को वट वृक्ष के नीचे पूजा स्थल पर जाकर शरबत का वितरण किया जाएगा।
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क्योंकि सुबह से भीषण गर्मी में उपवास रखती है। यहां तक कि वह पूजा के पूर्व पानी भी नहीं पीती हैं। इसलिए बिरगांव नगर क्षेत्र के कई स्थानों पर जाकर 101 लीटर शरबत का वितरण उनके बीच जाकर करेंगे। इससे अपनी संस्कृति और परंपराओं का प्रचार-प्रसार और उत्साहवर्धन होगा।

सावित्री ने पूजा कर पति को यमराज से कराया था जीवित

Vat Savitri Vrat 2025: पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन माता सावित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज के चंगुल से जीवित किया था। सत्यवान का शव वट वृक्ष के नीचे रखकर सावित्री ने पूजन अर्चन की थी, तब उनके पति का जिंदा होने का वरदान मिला। इसलिए इस पर्व को वट सावित्री कहा जाता है। इसमें विवाहित महिलाएं अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और कथा का श्रवण करती हैं।

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