Rakshabandhan 2025: राखी के धागों से बुनी आत्मनिर्भरता की डोर, चावल, मूंग के दाने से महिलाओं ने बनाई राखियां
Rakshabandhan 2025: महिलाओं द्वारा रेशम के धागे, धान, चावल, मूंग, मोती एवं अन्य पारंपरिक एवं सजावटी सामग्रियों से पर्यावरणीय दृष्टि से सुरक्षित और आकर्षक राखियों का निर्माण किया जा रहा है।
Rakshabandhan 2025: भाई-बहनों का पवित्र रक्षाबंधन का त्यौहार इसी माह के 9 अगस्त को मनाया जाएगा। रक्षा बंधन को देखते हुए छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले की महिलाओं ने भाइयों की कलाइयों में रक्षा बंधन सजाने की पूरी तैयारियां कर ली है। गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखंड के अमलीपदर संकुल अंतर्गत स्व-सहायता समूहों की महिलाएं रक्षाबंधन पर्व को आजीविका से जोड़ते हुए आत्मनिर्भरता की मिसाल प्रस्तुत कर रही हैं।
इन समूहों की महिलाओं द्वारा रेशम के धागे, धान, चावल, मूंग, मोती एवं अन्य पारंपरिक एवं सजावटी सामग्रियों से पर्यावरणीय दृष्टि से सुरक्षित और आकर्षक राखियों का निर्माण किया जा रहा है। यह पहल न केवल पारंपरिक हस्तकला को प्रोत्साहन दे रही है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में भी एक प्रभावी कदम है।
स्थानीय बाजारों में मांग
रक्षाबंधन के पूर्व इन हस्तनिर्मित राखियों की मांग स्थानीय बाजारों में तेजी से बढ़ी है। समूह की महिलाएं स्वयं ही इन राखियों की स्थानीय स्तर पर बिक्री कर रही हैं, साथ ही यह राखियाँ महिलाओं द्वारा संचालित दुकानों में भी उपलब्ध कराई जा रही हैं। इस प्रयास से महिलाओं को अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो रही है, जिससे उनमें आर्थिक आत्मनिर्भरता के साथ-साथ सामूहिकता, रचनात्मकता और आत्मसम्मान की भावना भी विकसित हो रही है।
यह राखियां आकर्षक तो है ही साथ ही राखियों को बनाने के लिए धान, चावल, गेहूं, लौकी के बीज का उपयोग किया गया है। जिससे इस पावन पर्व का महत्व और बढ़ गया है। पहले ही दिन महिला समूहों की भोरबंधन राखियों की अच्छी बिक्री होने की जानकारी मिली है।
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