यह कार्रवाई पिछले काफी समय से बोगस बिलिंग के जरिए
टैक्स चोरी और शेल कंपनियों में निवेश करने के इनपुट के आधार पर की गई है। प्राथमिक जांच के दौरान लेनदेन के दस्तावेजों में बडे़ पैमाने पर गड़बड़ी मिली है। इसके संबंध में गुटखा फैक्ट्री के संचालक नरेश मोटलानी और रायपुर के प्रमुख डिस्ट्रीब्यूटर विश्वनाथ काबरा से पूछताछ कर बयान लिया जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक पिछले काफी समय से फर्जी बिलिंग कर टैक्स चोरी हो रही थी। फैक्ट्री संचालक प्रोडक्शन को कम बताकर लेखा पुस्तकों में नुकसान बता रहे थे। जबकि देशभर के विभिन्न राज्यों में गुटखा की सप्लाई हो रही थी। वहीं कारोबारी भी कच्चे में गुटखा बेच रहे थे। बता दें कि छापेमारी की यह कार्रवाई दिल्ली की 9 सदस्यीय टीम द्वारा किया गया है।
प्रोडक्शन-स्टॉक की जांच डीजीजीआई की टीम गुटखा फैक्ट्री संचालक और डिस्ट्रीब्यूटर्स के ठिकानों में प्रोडक्शन, स्टॉक और लेनदेन के दस्तावेजों की जांच कर रहे है। कच्चा माल खरीदने और निर्मित गुटखा के फर्जी बिल और आपूर्ति को जांच के दायरे में लिया गया है। इसके पूरा होने पर ही टैक्स चोरी का खुलासा होगा। डीजीजीआई के सूत्रों का कहना है कि शुरुआती जांच में लगातार गड़बड़ी मिल रही थी। इसे देखते हुए टीम इस समय फैक्ट्री और डिस्ट्रीब्यूटरों के फर्म में जांच कर रही है।
बता दें कि इसके पहले दुर्ग जिले में चल रहे एक अवैध गुटखा फैक्ट्री में स्टेट जीएसटी और खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की टीम ने छापा मारा था। इस दौरान 1 करोड़ 50 लाख रुपए की टैक्स चोरी पकड़ी गई थी।